डूबते सूर्य को अर्ध्य देने गंगाघाटों, तालाबों पर आस्था का सैलाब
प्रदीप दुबे विक्की
ज्ञानपुर/गोपीगंज(भदोही)”मोरा घाटे दुबिया उपज गइले,उजे केरवा जे फरेला घवद से ओहपर सुग्गा मेरराय, कांच ही बांस के बहंगिया,बंहगी लचकत जाय…जैसे छठ गीतों से नदी,तालाब गुलजार रहे, ऐसे कई कर्णप्रिय छठ गीतों के सामूहिक गान के मीठे स्वरों के साथ ही हवा पर धूप अगरबत्ती की फैलती सुगंध ,कहीं अर्ध्य देने के लिए सजे सूंप और भरी दौरी लेकर गंगा घाट की ओर जाती व्रती महिलाएं ,तो कहीं उनकी सेवा के लिए तत्पर या इसमें जुटे भद्र नागरिक ।महाछठ पर्व के अवसर पर मंगलवार को जनपद भर में अधिकांश नदियों, सरोवरोंं के आसपास के क्षेत्रों का प्राय: कुछ ऐसा ही मनोरम दृश्य रहा ।
सर्व मंगलकामना और पुत्रों की दीर्घायु के लिए सूर्योपासना के चार दिवसीय पर्व के तीसरे दिन मंगलवार को गंगा घाटों से लेकर जगह-जगह स्थित विभिन्न सरोंवरों के तटों पर आस्था की जैसे गंगा ही उमड़ पड़ी हो । सायंकाल अर्ध्य की बेला होते ही अस्ताचल पर भगवान भुवन भास्कर जैसे असंख्य कंठों की श्रद्धा पुकार पर ठिठक गए हो। और स्वीकार करने लगे असंख्य व्रतियों का अर्ध्य दान ।आस्था में डूबा और श्रद्धा से भरपूर यह एक ऐसा अद्भुत अवसर बना जिसे प्रत्येक श्रद्धालु ने जैसे अपने हृदय पटल पर सदा के लिए अंकित और संचित कर लिया ।व्रतियों ने अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर विधि-विधान से पूजन अर्चन किया और सर्व मंगल कामना के संग ही अपने पुत्रों की लंबी आयु की कामना की । ज्ञानपुर नगर स्थित ज्ञान सरोवर सहित गोपीगंज के रामपुर गंगा घाट, सीतामढ़ी गंगा घाट ,सेमराधनाथ घाट,भोगांव आदि गंगा घाटों पर पूरे दिन भीड़ डटी रही।सूर्योपासना के पर्व डाला छठ.पर तीसरे दिन गंगा घाटों पर पूरे दिन व्रती महिलाओं की भीड़ लगी रही। खरना के साथ निर्जला व्रत रखकर गंगा तट व सरोंवरों के किनारे पहुंची महिलाएं वेदी पर धूप ,दीप, नैवेद्य अर्पित कर भगवान भास्कर का पूजन अर्चन किया । इसके साथ ही उनके अस्तांचलगामी होने पर पानी में खड़ी होकर अर्ध्य दिया।