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तारिक आज़मी की कलम से – ज़रा संभल कर हुजुर, इनके लिये एम्बुलेंस नही आती है

तारिक आज़मी

एक माँ को उसके बच्चो से और जब तक बच्चे छोटे रहते है तो बच्चो को अपनी माँ से एक अलग ही स्नेह रहता है। इस स्नेह को आप कोई नाम नही दे सकते है और न ही लफ्जों में बयान कर सकते है। ऐसे शब्द शायद बने ही नही है जो ममता के अहसास को बयान कर सके। ये तो केवल एक अहसास होता है जिसको हम सिर्फ महसूस कर पाते है। ऐसा ही एक हादसा मेरी आँखों के सामने से उस वक्त गुज़रा था जब पास की सड़क पर एक कुतिया ने कुछ बच्चो को जन्म दिया था।

मैं उस लम्हे की तस्वीर तो नही उतार पाया था मगर आज भी उस लम्हे को याद करके मेरे जिस्म के रोवे खड़े हो जाते है। एक अजीब से अहसास से दिल बेचैन हो जाता है। उस कुतिया के बच्चो की उम्र दस से पंद्रह दिन होते होते कई बच्चे एक एक कर मर चुके थे। सिर्फ दो ही बचे थे। एक भूरे रंग का था और एक काले रंग का। दोनों ही काफी नटखट थे। सारा वक्त सड़क पर उछल कूद करते और किनारे बैठ उनकी माँ अटखेलिया देखा करती थी। मोहल्ले के नवजवान लड़के उसको कुछ खाने को दे देते थे। वह अपनी जगह से बहुत कम हटती थी। बच्चे खेलते खेलते थके और उनको भूख लगे तो अपनी माँ से चिपक जाते थे। इसी दौरान एक रोज़ रात का लगभग 11 बजा होगा। सड़क सन्नाटी हो चुकी थी। बच्चे अपनी माँ के साथ खेल रहे थे कि एक तेज़ रफ़्तार बाइक उस काले रंग के पिल्ले के ऊपर से गुज़र गई।

बाइक सवार काफी जल्दी में था शायद उसको प्लेन पकड़ना रहा होगा या फिर उसको जोर की पोटी आई होगी। तभी रफ़्तार इतनी तेज़ रही होगी। बाइक उस बच्चे के सर से होकर गुजरी थी और वह वही तड़पने लगा था। घटना मेरी आँखों के सामने सिर्फ कुछ लम्हों में गुजरी थी। हम सभी दोस्त अपने घरो को जाने की तैयारी में थे। हम जल्दी जल्दी पास पहुचे मगर तब तक वह पिल्ला मर चूका था। नन्ही सी जान उतनी तेज़ रफ़्तार बाइक को खुद के ऊपर से गुजरने का वज़न नही बर्दाश्त कर पाया और इस दुनिया से रुखसत हो चूका था। उस पिल्ले की माँ दौड़ कर सड़क के एक कोने जिधर बाइक गई थी वहा जाती और फिर दौड़ते हुवे उस बच्चे के पास आती और उसको अपनी ज़बान से चाटती। उसका दूसरा बच्चा भी उस मर चुके बच्चे के पास ही बैठा था। काफी देर लगभग 15-20 मिनट ऐसा चलता रहा फिर माँ उस मर चुके बच्चे से दो कदम की दूरी पर बैठ गई और उसका दूसरा बच्चा ऐसे उससे चिपक कर बैठ गया जैसे दोनों गम मना रहे हो।

इसी तरह आज सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के साथ तस्वीर वायरल होती हुई मुझको मिली। मुझे नही मालूम तस्वीर कहा कि है मगर तस्वीर बोलती है इसका अहसास हुआ ज़रूर, तस्वीर मे एक मादा बन्दर घायल है और उसके सर से खून बह रहा है। वायरल तस्वीर आप देख सकते है। माँ के सर से बहता खून शायद उसके दर्द को बयान कर सके। मगर इस हालत में भी माँ अपने बच्चे को अपने कलेजे से लगाये है। बच्चा भी अपनी माँ के सर से बहते हुवे खून से बेचैन है मगर कुछ कर नही पा रहा है, सिर्फ उसके तरफ देख रहा है. और माँ उसको अपने कलेजे से चिपका कर रखी हुई है. तस्वीर के साथ एक पोस्ट भी है जिसमे लिखा है कि गाडी संभल कर चलाये इनके लिए एम्बुलेंस नही आती है। हकीकत तो यही है और फिर एक बार कहता हु तस्वीर बोलती है। शायद यह तस्वीर भी ममता की भाषा बोल रही है। मगर ये भाषा उनके समझ में आ सकती है जिनको माँ की क़द्र होगी। क्योकि ध्यान रहे इस देश में हर शहर में वृद्धाश्रम भी है जहा कई माँ अपने बेटो का इंतज़ार कर रही है।

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