हरिशंकर सोनी
सुल्तानपुर:-वर्तमान योगी सरकार की योजनाएं शुरू तो बड़े जोश खरोश से होती है पर जल्द ही इच्छाशक्ति के आभाव में दम तोड़ने लगती है। प्रदेश की सरकार ने नगर की समस्याओं को दूर करने के लिए तहसील दिवस, थाना दिवस व नगर पालिका परिषद में नगरीय समाधान दिवस की व्यवस्था की।
प्रत्येक माह के दूसरे सोमवार को आयोजित होने वाले नगरीय समाधान दिवस में नगर की समस्याओं व शिकायतों को सुनकर त्वरित निस्तारण के लिए जिलाधिकारी या नोडल अफसर के रूप में अधिकारी की मौजूदगी को अनिवार्य किया गया। इसके अतिरिक्त पुलिस विभाग व नगरपालिका विभाग के सभी अफसरों के साथ अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद, चेयरमैन की उपलब्धता को अनिवार्य बताया गया था। नए बोर्ड के गठन के बाद से ही नगरीय समाधान दिवस दुर्दशा का शिकार हो गया है।
पूर्व जिलाधिकारी संगीता सिंह व पूर्व उप जिला अधिकारी प्रमोद पांडे एक या दो बार नगरीय समाधान दिवस में पहुंचे तो हुई शिकायतों के क्रास चेकिंग में गड़बड़ी मिलने पर सफाई इंस्पेक्टर व नगर पालिका के अफसरों को कड़ी फटकार लगाई थी। इन अफसरों के जिले से जाने के बाद जिले के नवागत अफसरों ने नगर पालिका के समाधान दिवस से दूरी बना रखी है। सूत्र बताते हैं नगरीय समाधान दिवस नगर पालिका अध्यक्ष बबीता जयसवाल व उनके पति जिला पंचायत सदस्य अजय जयसवाल द्वारा चेयरमैन के चेंबर में बैठकर सुना जाता है व मनमाना पक्षपातपूर्ण निर्णय किया जाता है। जिसकी शिकायतें जिले के हुक्मरानों के अलावा प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ तक से की जा चुकी है। मनमानी भरे पाक्षिक निर्णयों के बाद भी भाजपा की सरकार में बैठे मंत्री और जिम्मेदार कोई कार्यवाही ना कर योगी सरकार की लुटिया डुबोने में लगे हुए हैं।
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