अइसन बउराह वर से गौरा ना बियहबो , चाहे गौरा रहीहें कुँआर हो ….
श्रीराम नाम कथा यज्ञ के दूसरे दिन शिव पार्वती विवाह का हुआ बहुत सुंदर वर्णन
विकास रॉय
बलिया टाउन डिग्री कालेज के मैदान पर आयोजित
श्रीराम कथा यज्ञ के दूसरे दिन कथावाचक परम् पूज्य स्वामी प्रेम भूषण जी महाराज ने भगवान शिव पार्वती के शुभ विवाह का सुंदर वर्णन किया । कथा प्रारम्भ होने से पूर्व स्वामी प्रेम भूषण जी महाराज के आसन पर पहुंचने के बाद इस आयोजन के यजमान विंध्यांचल सिंह एवं श्रीमती तेतरी सिंह (माता पिता श्री दयाशंकर सिंह ), दयाशंकर सिंह एवं इनकी पत्नी स्वाति सिंह मंत्री ,विनोद शंकर दुबे जिलाध्यक्ष भाजपा , पूर्व मंत्री राजधारी सिंह ,नारद सिंह, पीएन सिंह पूर्व प्रधानाचार्य, बबन सिंह रघुवंशी , सत्येंद्र नाथ पांडेय, ईश्वर दयाल मिश्र ,ने भगवान भोलेनाथ , भगवान श्रीराम का सपरिवार पूजन अर्चन किया । मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार स्वाती सिंह ने अपने संबोधन में कथा पंडाल में महिलाओ की अत्यधिक संख्या पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि मैं भी इसी पवित्र मिट्टी में पली बढ़ी हूं । यह बलिया मेरी जड़ है लेकिन आप सबके आशीर्वाद ने मेरा कर्मक्षेत्र लखनऊ बना दिया है। लेकिन क्या कोई पौधा अपनी जड़ से अलग रह सकता है नही , वैसे ही मैं जहां कही भी रहती हूं बलिया मेरे दिल मे वास करती है । आप लोग पावन श्रीराम कथा को श्रवण करने आये है मेरी भगवान से प्रार्थना है कि ईश्वर आप सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करें । इसके बात मंत्री स्वाती सिंह ने महिलाओ संग जमीन पर बैठकर ही कथा सुनी । वही भगवान के भूतनाथ रूप में दूल्हा बनने पर राजा हिमांचल के दरवाजे पर बारात के साथ आने पर अपने पति दयाशंकर सिंह के साथ प्रतीकात्मक पूजन की । वही शादी हो जाने पर पुनः दोनो पत्नी पत्नी ने भोलेनाथ और माता पार्वती कि पूजा अर्चना की ।
कथावाचक स्वामी प्रेम भूषण जी महाराज ने शिव पार्वती के शुभ विवाह का पावन प्रसंग सुनाकर उपस्थित सभी राम कथा के भक्त श्रोताओं को भावविभोर किया । कथा का प्रारम्भ त्रेता युग मे भगवान शिव द्वारा माता सती के साथ दंडकारण्य वन में कथा सुनने से होती है । भगवान शिव के द्वारा यह कहना कि हमारे आराध्य इस जंगल मे आये है , माता भगवान की परीक्षा लेने निकल पड़ी । भगवान राम के पास माता सीता के रूप में जाती है तो भगवान राम द्वारा यह कहने के बाद कि माते आप अकेले कैसे .हमारे आराध्य भोलेनाथ कहाँ है ? यह सुनकर माता सती बहुत लज्जित होकर भोलेनाथ के पास लौट आई । भोलेबाबा ने पूछा क्या हमारे आराध्य ने आपकी परीक्षा ली , तब माता बोली नही । तब भोलेनाथ ने अंतर्ध्यान ज्ञान से देखा और सब जान गये और संकल्प लिया – यह तन सती भेंट अब नाही । इसके बाद कि कथा में माता सती के पिता दक्ष प्रजापति द्वारा भोलेनाथ के अपमान के लिये यज्ञ करने , माता का भगवान भोलेनाथ के मना करने के वावजूद जाना और अपने पति का अपमान अपने पिता के द्वारा ही करने के प्रयोजन को जानते ही पूरी सभा को श्राप देकर अग्नि कुंड में कूदकर जल जाने का मार्मिक वर्णन प्रस्तुत किया । भगवान भोलेनाथ के गण वीरभद्र द्वारा दक्ष प्रजापति का सिर काटने , यज्ञ को विध्वंस करने और ब्रह्मा जी के निवेदन पर भोलेनाथ द्वारा दक्ष को बकरे के सिर के साथ जीवित कर यज्ञ को पूर्ण करने की कृपा करने की पूरी कथा को श्री प्रेम भूषण जी महाराज ने ऐसी कही मानो आंखों के सामने ही घटित हो रही हो।
इसके बाद कि कथा में तारकासुर के आतंक से आतंकित देवो द्वारा भगवान भोलेनाथ के विवाह के लिये ब्रह्मा जी से निवेदन करने की कथा को विस्तार से श्री प्रेम भूषण जी महाराज ने कही । भगवान भोलेनाथ को समाधि से उठाने के लिये कामदेव द्वारा अपना कामुक तीर चलाना और भोलेनाथ के त्रिनेत्र से भस्म हो जाने की घटना को भी विस्तार से सुनाया । भगवान भोलेनाथ से कामदेव की पत्नी रति का अनुनय विनय करना और भगवान भोलेनाथ द्वारा द्वापर में श्रीकृष्णअवतार में श्रीकृष्ण पुत्र के रूप में मिलने के प्रसंग को भी सजीव तरीके से सुनाया । श्री महाराज ने हिमालय राज की पुत्री के रूप में माता पार्वती का जन्म लेना , भगवान शिव से विवाह के लिये 12 वर्षो तक कठोर तप करने , सप्त ऋषियों द्वारा प्रेम परीक्षा लेकर आशीष देने की घटना को भी रोचक तरीके से सुनाया । शिव बारात का वर्णन श्री के मुख से आनंदित करने वाला था । भगवान भोलेनाथ की बारात का वर्णन , माता मैना का द्वाराचार के समय आरती करने से इनकार करना आदि को श्री प्रेम भूषण जी ने बहुत ही सजीवता के साथ प्रस्तुत किया । माता पार्वती का सखियों एवं माता को अपने जबाबो से संतुष्ट करने का प्रसंग बहुत ही मार्मिक और प्रेरणादायक रहा । अंत मे माता मैना का शादी के बाद माता पार्वती को समझाना कि पति की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है , आज के परिवेश में भी महत्वपूर्ण हो जाता है ।
हम सही तुम गलत से बाहर निकलो , हम गलत तुम सही को अपनाओ
कथा के बीच मे कथावाचक श्री प्रेम भूषण जी महाराज आजकल दाम्पत्य जीवन मे आ रही खटास पर भी अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी । कहा पति पत्नी में प्रेम हो तो भोलेनाथ और माता सती की तरह । बिना बुलावे के जब माता सती अपने पिता दक्ष प्रजापति के घर आयोजित यज्ञ में जाती है तो माता सती को देख कर दक्ष इस लिये परेशान हो जाते है कि बिन बुलाए सती आ गयी , और बिन सती भोलेनाथ रह नही सकते जल्दी ही आ जाएंगे । इसको प्रेम कहते है जब दुनिया जान जाये कि ये दो जिस्म जान एक है । आज कल पति पत्नी के झगणो का मूल कारण मेरी बात सही तुम्हारी झूठी है । अगर इसको पलट दिया जाय और यह कहा जाय मैने जो कही वह झूठी है आप सच्ची बोल रहे है , देखिये कितना मधुर दाम्पत्य जीवन होगा ।
बलिया के विकास पर नेताओ को कोसा
बलिया ।। कथावाचन कर रहे प्रेमभूषण जी महाराज ने बलिया का यथोचित विकास न होने के लिये सभी नेताओं को कोसा । कहा ऐसी कोई भी सरकार नही बनी जिसमे बलिया का प्रतिनिधित्व नही रहा , फिर भी बलिया विकास से कोसो दूर क्यो ? मऊ में कल्पनाथ राय ने जहां जरूरत हुई पुल बनवा दिया लेकिन आज बलिया को नेताओ ने मुशकईल में बदल दिया है । बिना जाम में फंसे बलिया से आप जा ही नही सकते है । आपने कहा अब तो मेरी अगली कथा तभी होगी जब नेता लोग बलिया का विकास करा देंगे ।
भगवान तो विकार रहित है ,उनको मनुष्यो की तरह जातियों में न बांटे
श्री प्रेम भूषण जी महाराज ने इशारों इशारों में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को हनुमान जी की जाति बताने आड़े हाथों लेते हुए नेताओ को नसीहत दी । कहा अविनाशी , अजन्मा ,विकार रहित भगवान को विकारों में मत बांधिये । भगवान का न रूप है ,न रंग है , न आकार है न ही हड्डी है न ही खून, न हड्डियां है , न मेरुरज्जू है फिर आम मनुष्य की भांति भगवान को समझकर जातियो, धर्म के साथ न बांटे बड़ी कृपा होगी।