रिजवान अंसारी
कानपुर. तीन तलाक पर मचे बहस के बीच अब तीन तलाक पर अध्यादेश जारी होने के बाद कानपुर शहर का पहला मामला सीएमएम कोर्ट पहुंचा है। पीड़िता ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अध्यादेश के तहत परिवाद दर्ज कर जीवन निर्वाह भत्ते की मांग की है।
मामले में 30 जनवरी को परिवादिनी के बयान कोर्ट में दर्ज किए जाएंगे। चमनगंज थानान्तर्गत गम्मू खां का हाता निवासी साबिया नाज ने मोहम्मद अली पार्क निवासी पति मो. नदीम, ससुर अब्दुल हई, जेठ गुड्डू, राजू व परवेज के खिलाफ कोर्ट में परिवाद दर्ज कराया है। परिवाद में बताया गया है कि साबिया और नदीम का निकाह 12 फरवरी 2007 को हुआ था। छह वर्ष का बेटा है। एक साल पहले साबिया को जानकारी हुई कि पति के दूसरी औरत से नाजायज संबंध हैं। ससुरालवालों ने भी नदीम का ही साथ दिया और दहेज में दो लाख रुपये लाने की मांग की।
विरोध करने पर 12 जनवरी 2018 को तीन बार तलाक कहकर बेटे समेत घर से निकाल दिया। 28 दिसंबर को रजिस्टर्ड डाक से पहला तलाकनामा भी भेज दिया और एक माह बाद दूसरा तलाक भेजने की धमकी दी। चमनगंज थाने में दहेज उत्पीड़न की रिपोर्ट तो दर्ज कर ली गई लेकिन तीन तलाक पर जारी अध्यादेश की जानकारी न होने की बात कहकर उसकी धारा एफआईआर में नहीं जोड़ी गई। इसके चलते साबिया ने कोर्ट में परिवाद दर्ज कर अपने और पुत्र के भरण-पोषण के लिए जीवन निर्वाह भत्ते की मांग की है।
पीड़िता के अधिवक्ता आनंद शंकर जायसवाल ने बताया कि नए कानून में पीड़ित महिला व उसके पुत्र को जीवन निर्वाह भत्ता (जिसमें किराया, चिकित्सा, गुजारा आदि शामिल है) दिलाए जाने की व्यवस्था है। मौखिक रूप से तीन तलाक कहकर तलाक देने वाले पति को तीन साल तक की कैद और जुर्माने से दंडित किए जाने का प्रावधान है।
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