फारूख हुसैन
पलिया कलां खीरी : चीनी मिल की चिमनियों से निकलने वाली काली राख ने लोगों के लिये जी का जंजाल बन गयी है। इसकी राख से आसपास के लोग न सिर्फ मुसीबत झेल रहे हैं, बल्कि उनकी आंखों की रोशनी भी जाने का खतरा भी लगातार बना रहता है क्योकि उस राख में एक प्रकार की रासायनिक तत्व मिले रहते हैं और साथ ही वहां का निकलने वाला दुषित पानी भी लोगों के लिये परेशानी का सबब बना हुआ है इस बारे में क्षेत्रीय लोगों ने कई बार मिल प्रबंधन व प्रशासन से इसकी शिकायत की लेकिन नतीजा सिफर ही रहा।
चीनी मिलों में एक टन गन्ने की पेराई पर लगभग दो सौ लीटर पानी खर्च होता है। इस दौरान यह पानी बेहद ही गंदा और जहरीला हो जाता है। नियमानुसार गंदे पानी को साफ कर सिंचाई आदि के काम में लाया जाना चाहिए, परंतु पानी को साफ करने पर भारी खर्च आने के कारण मिल के अधिकारी गंदे पानी को सीधे नजदीक ही निकलने वाले कच्चे नाले में गिरा रहें हैं और यह नाला पलिया क्षेत्र के आस पास के गांव छोटी पलिया, बड़ा गांव, पट्टी पतवारा, सरखना पूरब और पश्चिम सहित अन्य गावों से होकर निकाला गया है और इस गंदे नाले के कारण गावों का पीने का पानी भी प्रदूषित हो रहा है जब इस बारे में गांव वालों से बात की गयी तो उन्होने बताया गंदे पानी की वजह से उनकी हालत बहुत ही खराब है और यह गंभीर समस्या है।वैसे जानकारी के लिये आपको यह भी बता दे कि पानी को साफ करने के लिए मिलों में ईटीपी (प्रदूषण नियंत्रण संयंत्र) लगा होता है। समय समय पर प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारी इसका निरीक्षण भी करते हैं, परंतु उनका निरिक्षण कैसे होता है यह सोचनीय विषय बन जाता है।
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