प्रत्युष मिश्रा
बांदा। भारतीय संस्कृति मंे अनेक धर्मों का समावेश है, जिनके अलग-अलग अनुयायी है तथा सांस्कृतिक विरासत के रूप में हम उन महापुरुषों के कथन, ज्ञान एवं विचारों को कविताओं, पद्यांशों और सूक्तियों के माध्यम से आत्मसात् करते है और अपने जीवन मंे उनके द्वारा दिये गये विचारों को मार्गदर्शक के रूप में अपनाकर लाभान्वित होते हैं। सन्त रविदास का मानना था कि हिन्दू धर्म में जो कर्मकाण्ड बनाये गए हंै उनका किसी जाति, वर्ग विशेष से नहीं बल्कि समाज के हर तबके का समान अधिकार है। यह बातें कृषि विश्वविद्यालय, बांदा के उद्यान महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. सत्यव्रत द्विवेदी ने विश्वविद्यालय मंे आयोजित सन्त रविदास जयन्ती समारोह मे बतौर मुख्य अतिथि के रूप में कहीं।
डा. द्विवेदी ने यह भी कहा कि सन्त रविदास के अनुयायी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश के अलावा देश के अन्य प्रदेशों में ही नहीं बल्कि विश्व में कोने-कोने में फैले हुए है। विश्वविद्यालय मंे मनाये जा रहे सन्त रविदास जयन्ती के अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र के अध्यक्ष डा. श्याम सिंह ने कहा कि संत रविदास महापुरुष थे जिन्होनें मानव धर्म के लिये कई अच्छे कार्य कियेे हमे उनके किये गये कार्यो एवं संदेश को याद करके अपने जीवन मे लागू करना चाहिए। कार्यक्रम में सह-अधिष्ठाता छात्र कल्याण डा. वीके सिंह ने संत गुरु रविदास के बारे मंे बताया कि इनका जन्म काशी के सीर गोवर्धन गांव में मान्यता के अनुसार 1170 ई0 के लगभग हुआ था। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा काशी (वाराणसी) में ही गुरु के देख-रेख में हुई थी।
इन्होंने बताया कि सीर गोवर्धन ग्राम कांशी हिन्दू विश्वविद्यालय से लगा हुआ ग्राम है, जहां पर इनका जन्म हुआ आज वहां पर एक भव्य मन्दिर बना हुआ है जहां पर 3-4 दिनों तक देश दुनिया के लोग यहां पर आते है। मन्दिर में दर्शन पूजन करने के बाद प्रसाद ग्रहण करते है। महत्वपूर्ण विचार के रूप मे आपने मन चंगा तो कठौती मे गंगा कहा जो आज भी प्रशंसनीय है। इनकी याद में लंका, वाराणसी में एक भव्य द्वार बनाया गया है जिसका नाम सन्त रविदास गेट रखा गया है। कई दिनों तक यहां पर मेला लगता है।
कार्यक्रम का संचालन डा0 देवकुमार ने किया। विश्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो0 जी0 एस0पंवार, सह अधिष्ठाता वानिकी महाविद्यालय डा0 संजीव कुमार, निदेशक प्रशासन एवं अनुश्रवण डा0 बी0 के0 सिंह, डा0 अखिलेश चैबे, सहायक प्राध्यापक डा0 बी0के0 गुप्ता, डा0 अखिलेश कुमार सिंह, डा0 विवेक कुमार, डा0 हितेश कुमार, डा0 राहुल राय एवं डा0 अभिषेक कुमार यादव गैर शैक्षणिक कर्मचारी एवं छात्र उपस्थित रहे।
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