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तारिक आज़मी की मोरबतियाँ – तो फिर खुद से सवाल आईने के सामने कर ले कि क्या आप जिन्दा है ? आखिर कैसा ये रामराज्य है ?

तारिक आज़मी

आज किसी प्रकार का कोई शब्द मजाकिया नही। आज दिल नही बल्कि इंसानियत खुद मातम मना रही है। वो दोनों ही मासूम थे। एक साथ आये थे इस दुनिया में। उन दोनों की अठखेलिया देख माँ के आँखों को ठंडक मिलती थी। बाप जब थका हारा दिन भर के काम काज के बाद घर लौटता था तो शायद उस मीठी आवाज़ से उसकी साड़ी थकान दूर हो जाती थी। दोनों एक साथ जब बोलते थे पापा। एक साथ दोनों इस दुनिया में आये एक साथ इस दुनिया को निहार रहे थे और एक साथ दोनों इस दुनिया से रुखसत हो गये। इन्सको रुखसत होना कहेगे या फिर रुखसत कर दिया गया कहेगे। जी हां उन दो मासूमो को रामराज्य की चाह रखने वाले जालिमो ने रुखसत कर दिया।

पैसो की लालच तो बहुत थी। उन दो मासूमो के पिता ने अपने बाप होने का फ़र्ज़ पूरा किया और उन जालिमो की मांग को भी पूरा कर दिया। एक दो नही पुरे पच्चीस लाख रुपया दिया। इसके बाद भी जालिमो ने खुद की पहचान को छुपाने और खुद के न पकडे जाने के लिये उन मासूमो को जान से मार दिया। दो जिले ही नही बल्कि दो राज्यों की पुलिस तलाश करती रह गई मगर सुराग नही मिल पाया था। नई नवेली बनी मध्य प्रदेश की कल्पनाथ सरकार और दूसरी तरफ गुंडों को प्रदेश छोड़ देने की चेतावनी देने वाली योगी सरकार। मगर दोनों की ही पुलिस फेल नज़र आई। आज बांदा में पास भी हुवे तो मासूमो को बचा नही सके योगी के एनकाउंटर करने वाले रणबांकुर। आखिर किस काम की ये सफलता जहा फिरौती के लगभग 18 लाख बरामद कर लिये। उन दो मासूमो को तो नही बचा सके। पुरे 12 दिनों का वक्त था। मगर इन 12 दिनों में जो छापेमारी पिछले तीन दिनों में हुई वह पहले हो जाती तो आज शायद दो शहरों में इतना गुस्सा और आक्रोश नही रहता।

ये काम पहले ही दिन से करना शुरू हो जाता तो शायद वो दोनों मासूम आज अपने घर में किल्कारिया भर रहे होते। मगर एनकाउंटर करना और मासूमो की जिन्दगिया बचाना दोनों शायद अलग अलग बात रही होगी। याद होगा आपको कि 12 फरवरी को स्कूल बंद होने के बाद कैसे अपने घर को जा रहे शिवांग और देवांग जिनके पिता का चित्रकूट जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में तेल का कारोबार है को स्कूल बस से अपहरण कर लिया गया था। मौके पर सीसीटीवी फुटेज में दिखाई दिया कि दो बाइक जिसके नंबर प्लेट पर रामराज्य लिखा था से आये अपहरंकर्ताओ ने किस प्रकार बस को असलहे के बल पर रोक लिया और फिर बच्चो का अपहरण कर लिया। सवाल तो यहाँ भी है कि आखिर बस चालक ने किस डर से बस रोक दिया। बस की रफ़्तार अगर बढ़ा देता तो शायद ये घटना अपने अंजाम तक ही नहीं पहुच पाती। मगर कमबख्त ने अपनी जान को बचाने के लिये दो मासूमो की जान से खिलवाड़ कर लिया। इस 12 फरवरी को हुवे अपहरण के बाद इन अपहरणकर्ताओ ने फिरौती की मांग किया। जिसको मासूमो के पिता ने पूरा कर दिया इसके बाद भी उन जालिमो ने बच्चो को रिहा नही किया। कल बच्चो की लाशो को नदी से बरामद कर लिया।

इस खुलासे के बाद जनता में आक्रोश है। गुस्सा उबल रहा है। दो शहरों में तनाव का माहोल है। घटना को अंजाम देने वाले जानकीकुंड ट्रस्ट के पुरोहित का बेटा पदम कांत शुक्ला मुख्य साजिशकर्ता निकला। उत्तेजित जनता ने जमकर चित्रकूट में बवाल मचाया। इस ट्रस्ट के पुरोहित का बेटा इतना खोटा जानकार लोगो ने इसके द्वारा संचालित माल में भी जमकर तोड़फोड़ कर डाला। पदम् शुक्ला के साथ उसके साथी घटना में शामिल राजू द्विवेदी, लकी सिंह, रोहित द्विवेदी, रामकेश यादव, पिंटू उर्फ पिंटा भले ही पुलिस हिरासत में हो और पुलिस मामले का पूरा खुलासा करने का दंभ भर रही हो। मगर कही न कही से ये पुलिस की नाकामयाबी ही कही जाएगी कि बच्चो को जिंदा बरामद नही कर सकी। इस मामले में आईजी चंचल शेखर प्रेसवार्ता के दौरान वारदात को अंजाम देने वालों का खुलासा किया। साथ ही बताया कि 20 लाख फिरौती में से 17 लाख 67 हजार बरामद किए जा चुके हैं। आरोपियों के पास से पिस्टल बरामद हुई है। आरोपियों ने पूछताछ के दौरान जुर्म कबूलते हुए बताया कि उन्होंने दोनों बच्चों की पानी मे डुबो कर हत्या की थी। उनके शव न मिलें इसके लिए जंजीरों से पत्थर बांधकर शवों को पानी फेंक दिया था।

चित्रकूट में उबाल है जिले में धरा 144 लागू करके जनता को शांति बनाये रखने की अपील किया जा रहा है। मगर सवाल आज भी अनसुलझे है। आखिर ये कौन सा रामराज्य की मांग करने वाले लोग है जो गाडियों के नंबर प्लेट पर नंबर की जगह रामराज्य लिखे है। रामराज्य ऐसा तो नही था। जहा पैसो के खातिर मासूमो की हत्या हो जाए। इस तरह के रामराज्य की कल्पना मात्र से रूह काँप उठेगी। आज इस घटना से अगर आपके दिल में टीस नही उठती है, अगर आपका मन भारी नही होता है, अगर आपके आँखों की पलकों के कोने नम नही होते तो आज एक काम करे आईने के सामने खड़े होकर खुद से एक सवाल कर ले कि क्या आप जिन्दा है ? क्या करेगा उन मासूमो का बाप इन पैसो का अब। एक काम करिए साहब इतने पैसे और प्रदेश की जनता छोडिये सिर्फ चित्रकूट की जनता चंदे करके दे दे रही है। पुरे पैसे उन हत्यारोप को दे दे और कहे मासूमो को लौटा दो। कोई केस नही कोई आरोप प्रत्यारोप नही। कोई तुमसे कुछ कहेगा भी नही पंडित जी उलटे मैं आपके चरण धुलवाऊंगा मगर उन मासूमो को लौटा दो। उस माँ की सुनी कोख को आबाद कर दो। उस बाप के आंसू रोक दो वापस कर दो न उन मासूमो को। ले लो सब ले लो। उनको छोडो मैं अपना घर मकान सब देने को तैयार ही। दस बीस नही सैकड़ो लोग ऐसे मिल जायेगे जो उन मासूमो के जान का सदका देने को अपना सब कुछ दे देंगे। बहुत पैसे हो जायेगे पुरोहित जी, बस उन मासूमो को लौटा दो पुरोहित जी। लौटा दो।

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