आदिल अहमद
नई दिल्ली : विपक्ष में रहकर बयानबाजी करना और सत्ता में रहकर वैसे हालातो को संभालना दो अलग अलग सी बात होती है। ताज़ा बयान अगर देखा जाए तो वो कर्नल वी के सिंह जो हमेशा इस तरह के मुद्दों पर सरकार पर हमलावर रहते थे आज डिफेन्स के मूड में दिखाई दे रहे है। पुलवामा में आतंकियों के साथ मुठभेड़ की घटना पर विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि कश्मीर का मुद्दा सामान्य नहीं है। यह छद्म युद्ध का मामला है।
उन्होंने कहा कि एक घटना के आधार पर ही किसी नीति की सफलता या विफलता का आकलन नहीं करना चाहिए। यह मुठभेड़ थी, जहां एक अधिकारी और तीन जवान शहीद हो गए। इसका यह मतलब नहीं कि स्थिति खराब हो गई है। वीके सिंह ने कहा कि दक्षिण कश्मीर में 2005 से 2012 के बीच शांति थी। मगर 2012 के बाद वहां क्यों अशांति फैल रही है, क्या आपने इसका विश्लेषण किया। आखिर क्या ऐसा हुआ?
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में एक गठबंधन सरकार सत्ता में आई। जिसमें एक के पास घाटी में व्यापक समर्थन रहा तो दूसरे के पास जम्मू में। लिहाजा पूर्ववर्ती नीतियों की भी समीक्षा करने की जरूरत है। यह देखा जाना चाहिए कि क्या नीतियों की समग्र विफलता या फिर कुछ गलतियों के कारण आतंकवाद को बढ़ावा मिला?
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