तारिक आज़मी
नई दिल्ली: पुलवामा हमले के बाद सभी राजनितिक दल खामोश हो गये थे। सत्तारूढ़ भाजपा को छोड़ अधिकतर राजनितिक पार्टियों ने इस हमले के बाद होने वाले अपने कार्यक्रमों को या तो रद्द कर दिया था, या फिर ख़ामोशी के साथ कार्यक्रम हुवे थे। अब विपक्ष इस मामले में भाजपा को और रियायत नही देती दिखाई दे रही है। ख़ास तौर पर राफेल मुद्दे को उछाल कर भाजपा सरकार की सबसे अधिक किरकिरी करने वाली कांग्रेस ने तो शायद मन बना लिया है। आज पुलवामा हमले को लेकर कांग्रेस भाजपा सरकार पर हमलावर हुई। मामले पर हमलावर होते हुवे कांग्रेस ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि बड़ी सुरक्षा खामियों के चलते ही पुलवामा में आत्मघाती वारदात हुई। कांग्रेस ने यह भी कहा कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वादा करें कि वह पाकिस्तान जाकर झप्पी नहीं डालेंगे और अपने कहे मुताबिक कदम उठाएंगे।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट कर कहा है कि कांग्रेस बेहद जिम्मेदार पार्टी है और वह पुलवामा की घटना के बाद संयमित रही। 2014 से पहले नरेंद्र मोदी छोटी से छोटी घटना पर बहुत भड़काऊ बयान देते थे और तत्कालीन प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांगते थे।
उन्होंने कहा, हमने उरी, संसद हमले और पुलवामा के बाद भी यह नहीं किया। लेकिन बड़ी सुरक्षा ख़ामियों को दूर करना होगा ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं हों। सिंघवी कहा, ”कुल 78 वाहनों में 2500 जवानों को ले जाने का हास्यास्पद विचार था, सुरक्षा बलों के गुजरते समय ही आम लोगों के वाहनों के आने जाने की इजाजत दी गयी। जैश-ए-मोहम्मद की ओर से आत्मघाती हमले किए जाने संबन्धी खुफिया रिपोर्ट की अनदेखी क्यों की गई। क्या 56 इंच के सीने द्वारा यही ध्यान दिया गया?
पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा, मोदी जी, आप कहते हैं कि बातचीत करने का समय बीत गया है। शायद आप सही हों, लेकिन अब कहने के मुताबिक करने का समय है। उन्होंने 2015 में हुए प्रधानमंत्री मोदी के पाकिस्तान दौरे का हवाला देते हुए कहा, आप हमसे वादा करिये – अब कोई झप्पी नहीं डालेंगे, अब कोई जन्मदिन का जश्न नहीं होगा।
गौरतलब है कि पुलवामा हमले के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि पार्टी कुछ दिनों तक राजनीतिक चर्चा नहीं करेगी और वह अपने जवानों एवं सरकार के साथ खड़ी है। मगर अब शायद कांग्रेस ने इस चुप्पी को तोडा है और मामले में सरकार को घेरने की तैयारी में जुट गई है। इसी क्रम में आज कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओ द्वारा दिले बयान को देख कर ऐसा लगता है कि शायद कांग्रेस अब इस मामले में स्टार्टअप ले रही है। बताते चले कि 2014 के पहले किसी भी मामले पर भाजपा तुरंत हमलावर होती थी और प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांगती थी। इसी कड़ी में भाजपा की स्मृति इरानी ने तो एक बार बड़ा बयान देकर कहा था कि नक्सल हमले और आतंकी हमले को देखकर सुनकर मन करता है कि प्रधानमंत्री को अपनी चूड़ियां भेज दू। अब जब खुद भाजपा केंद्र में सत्ता प्राप्त कर चुकी है और स्मृति इरानी के पास कद्दावर मंत्रीपद है तो इस मामले में उनकी ख़ामोशी पर सोशल मीडिया काफी उत्तेजित है। सोशल मीडिया यूज़र लगातार इस मामले में स्मृति इरानी के बयान की मांग कर रहे है।
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