तारिक आज़मी
लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व का बिगुल चुनाव आयोग ने बजा दिया है। इस बार चुनाव 7 चरणों में होंगे। सत्ता पक्ष भाजपा (एनडीए) जहा दुबारा सत्ता पाने के लिये अपने जी तोड़ प्रयास कर रही है वही विपक्ष सत्ता परिवर्तन की कवायद कर रही है। बीते एक सालो से विपक्ष ने सत्ता को कडवी दवाओं का घूंट पिला रखा है। राफेल पर सरकार बुरी तरीके से कांग्रेस के निशाने पर है। वही कांग्रेस में प्रियंका गांधी के आने से एक बार फिर कांग्रेस के शांत बैठे कार्यकर्ता नये जोश और उत्साह के साथ खड़े हो गये है।
चुनावों के दौरान वायदे और फिर वायदे वफ़ा न होना आम बात रही है। जिसको हम चुनते है वही हमारे लिये भले वीआईपी हो जाए मगर होते तो वह हमारे दान के कारण है। एक ऐसा दान जिसको मतदान कहते है। खैर साहब इसपर क्या बहस करना और क्यों करना ? वर्त्तमान चुनावी माहोल में रणभूमि बनकर तैयार हो चुकी है। बिगुल फुका जा चूका है। वापस जनता के सामने एक से बढ़कर एक दावो की झाडिया लग रही है। एक से बढ़कर एक वायदे किये जा रहे है। मगर इन सबके बीच कुछ मुद्दे है जो इस चुनाव में वर्त्तमान सत्ताधारी दल को जहा परेशान कर सकते है, वही विपक्ष को भी इन सवालो के जवाब देने पड़ सकते है। आइये उन 8 मुद्दों पर नज़र डालते है जो इस चुनावों में उठने वाले है।
1.राष्ट्रीय सुरक्षा
राष्ट्रीय सुरक्षा का मुदद इस बार चुनावों में काफी हावी रहने वाला दिखाई दे रहा है। लोकसभा चुनाव से पहले पुलवामा हमला और उसके ऑपरेशन बालाकोट, फिर विंग कमांडर अभिनंदन का पाकिस्तान के फाइटर प्लान एफ-16 को मार गिराने की घटना की वजह से राष्ट्रीय सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। हालांकि विपक्ष मोदी सरकार पर सेना का इस्तेमाल राजनीति में करने का आरोप लगा रहा है तो मोदी सरकार का कहना है कि उसने सेना को फ्री हैंड दे दिया है। वहीं बीते 5 सालों में सुरक्षाबलों पर हुए हमले की खबरें आती रही हैं।
2. किसान
किसानो की समस्या आज भी देश में सभी समस्याओ से आगे खडी है, मोदी सरकार के कार्यकाल में किसानों से जुड़े संगठनों ने कई बार आंदोलन किए हैं। किसानों की मुख्य मांगे उनकी उपज का उचित मूल्य मिलना रहा है। इसके साथ ही उनकी मांग इन्फ्रास्ट्रक्चर और मदद के लिए सिस्टम को लेकर भी रही है। वहीं किसानों की मांग कर्ज माफ करने की भी रही है। पीएम मोदी ने साल 2022-23 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया है वहीं कांग्रेस ने कर्ज माफी का। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस की सरकारों ने कर्ज माफी का ऐलान कर दिया। दूसरी मोदी सरकार ने भी हर साल किसानों को 6 हजार रुपये मदद देने का ऐलान कर दिया। कुल मिलाकर चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष दोनों ही किसानों को महत्व को कम से कम चुनाव से पहले जरूर समझ रही हैं।
3.बेरोजगारी
कांग्रेस जिस मुद्दे को लेकर सबसे ज्यादा सरकार पर हावी रही है वह है मुद्दा बेरोज्गाती का। भले ही सरकार लगातार बेरोज़गारी कम होने का दावा करे, इसी दावे के क्रम में हमारे प्रधानमंत्री पकौड़े बेचने के काम को रोज़गार करार दे दे मगर हकीकी ज़मीन पर बेरोज़गारी तो इजाफे के साथ दिखाई दे रही है। विपक्ष, खासकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बार-बार पीएम मोदी सरकार से उस वादे के बारे में पूछ रहे हैं जिसमें उन्होंने 2 करोड़ रोजगार देने का वादा किया था। एक रिपोर्ट की माने तो भारत में बेरोजगारी की दर बीते चार दशकों में उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। साल 2018 में ही एक करोड़ नौकरियां कम हो गई हैं। बेरोजगारी इस चुनाव में एक अहम मुद्दा बनती जा रही है। इसी बीच मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण देने का भी प्रावधान कर दिया है।
4. गरीबी
देश की एक बड़ी आबादी गावो में निवास करती है। ये वह आबादी है जो मतदान करने बूथ पर जाती है। अब गांवों में गरीबी कई चुनावों में अहम मुद्दा बन चुकी है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में इसका नतीजा बीजेपी भुगत चुकी है। आंकड़ों के मुताबिक गांवों में वोट बीजेपी के पास से छिटक गया है। हालांकि लोकसभा चुनाव में भी यह ट्रेंड रहेगा इस पर कुछ साफ नहीं कहा जा सकता है।
5. व्यापार
सरकार के दावो के अनुसार व्यापार में बढ़िया बढ़ोतरी हुई है, ज़मीनी स्तर पर ये बढ़ोतरी नज़र नही आने से कांग्रेस सरकार पर हमलावर है। जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स तक की संज्ञा दिया जा रहा है। जीएसटी और नोटबंदी का मुद्दा भी लोकसभा चुनाव में छाए रहने की उम्मीद है। हालांकि मोदी सरकार का दावा है कि दोनों ही फैसले देश की अर्थव्यवस्था के लिए ठीक रहे हैं। सवाल इस बात है कि लघु और मझोले उद्योग से जुड़े लोग और मध्यम वर्ग इन फैसलों से कितना खुश है। शायद इस मामले पर सरकार के पसीने इस बार छुट सकते है।
6. भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार में आई भाजपा को इस भ्रष्टाचार के मामले में भी अपना बचाव तैयार करना पड़ सकता है। पिछले चुनाव में यूपीए सरकार से सत्ता इसी मुद्दे पर छिनने वाली भाजपा के पास इस चुनाव में भी यूपीए सरकार के समय हुए भ्रष्टाचार की लिस्ट रहेगी जिसको वह याद दिलाएगी तो वहीं विपक्ष के पास राफेल का मुद्दा है। मौजूदा सरकार राफेल मुद्दे पर लगातार सवालो के तीर झेल रही है। रक्षा सौदे से जुडी फाइल चोरी होने के बात पर जहा सरकार की भद पिट रही थी, वही दुबारा बयान आया कि फाइल की केवल फोटो कापी दिया गया है इस बयान ने भी सोशल मीडिया यूज़र्स ने भाजपा के ऊपर ताने मारे थे।
7. राम मंदिर
कभी राम मंदिर मुद्दा भाजपा का मुख्य मुद्दा हुआ करता था मगर अब ये मुद्दा न्यायालय में विचाराधीन है कहकर सीधे सरकार इसके ऊपर हाथ डालने से बच रही है। 80 फीसदी हिंदू आबादी वाले देश में राम मंदिर हर चुनाव से पहले मुद्दा बन जाता है। मामला सुप्रीम कोर्ट में है और मोदी सरकार इसी बात का सहारा लेकर सीधे तौर पर इसमें हाथ डालने से बचती रही है।
8. राष्ट्रवाद+उदारवाद
ये मुद्दा सबसे अधिक गंभीर होने वाला दिखाई दे रहा है। कुछ समय से देश में पहचान, बोलने की आज़ादी और धार्मिक सोच पर लगातार हमलो ने सरकार को इस चुनावों में कटघरे में खड़ा करने की तैयारी कर लिया है। राष्ट्रवाद का मुद्दा भी इस बार वोटरों का प्रभावित कर सकता है। बीते कुछ महीनों में ऐसी घटनाएं हुईं जो पहचान, बोलने की आजादी जैसे अधिकारों के मुद्दे के लिए खतरा बनती नजर आई हैं। कुछ लोगों का कहना है कि समाज में असहिष्णुता भी बढ़ी है। मोबलीचिंग के सहारे एक वर्ग विशेष को निशाना बनाने और सरकार की ख़ामोशी इस मुद्दे पर लोगो का ध्यानाकर्षण करवा सकती है।
सब मिलाकर ये है कि इस बार 2014 जैसी स्थिति एकतरफा नज़र नही आ रही है। जहा कांग्रेस ने गुजरात में टक्कर के बाद मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपना बढ़िया प्रदर्शन करते हुवे सत्ता से भाजपा को बेदखल किया है। वही पश्चिम बंगाल में भाजपा अपनी ज़मीन अभी भी तलाश रही है। बिहार में नितीश की नीतियों के कारण भाजपा के दिल में एक शंका रहने वाली है। वही उत्तर प्रदेश में सपा बसपा गठबंधन ने भाजपा की नींद हराम कर रखी है। राहुल गांधी के द्वारा सीधे प्रधानमंत्री पर हमला करते हुवे लगातार बयानबाजी से राफेल मुद्दा गर्म कर रखा है। वही सुप्रीम कोर्ट इस मामले की दुबारा सुनवाई कर रहा है जो भाजपा के लिये उसकी लोकप्रियता को कम करने का माध्यम बन सकती है।
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