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किताब-ए-इश्क में पाकिस्तान की किरण ने भारत के परविंदर संग लिख दिया मुहब्बत जिन्दाबाद

तारिक आज़मी

भारत और पाकिस्तान के बीच भले ही कितनी लम्बी ऊँची दीवारे खडी हो गई है। भले ही रिश्ते कितने भी कडवाहट वाले हो गये हो। दोनों मुल्को के कडवे रिश्तो के बीच आम इंसान मुहब्बत से इस दीवार को फांदकर अपने प्रेम की इबारत दोनों जानिब लिख रहा है। इसका जीता जागता उदहारण है पाकिस्तान की बाशिंदा किरण समरजीत जिनके भारत के अम्बाला में रहने वाले प्यार परविंदर सिंह ने परवान चढते हुवे एक दुसरे के मुल्क की आपसी तल्खी के बावजूद अपनी मुहब्बत की दास्तान किताब-ए-इश्क में लिखा डाली।

ये मुहब्बत की दास्तान है पाकिस्तान के सियालकोट में रहने वाली किरन सरजीत और भारत के अंबाला के रहने वाले लड़के परविंदर सिंह की। 14 फरवरी को हुए पुलवामा हमला के बाद इनकी शादी की तारीख आगे बढ़ा दी गई थी। अब तमाम कोशिशों के बाद उन्होंने शनिवार को इस रिश्ते को शादी का नाम दिया। दोनों की शादी सिख रीति रिवाज़ों के साथ पटियाला के एक गुरूद्वारे में हुई। पुलवामा हमले के बाद ये पहली शादी है जो इन दोनों देशों के बाशिंदों के बीच हो रही है। इन दोनों परिवारों के लोग चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच रिश्ते जल्द से जल्द बेहतर हों।

किरन की मुलाकात परविंदर से साल 2014 में हुई थी। उस वक्त उनकी उम्र 27 साल और परविंदर की उम्र 33 साल थी। बंटवारे के वक्त किरन का परिवार पाकिस्तान चला गया था। अब किरन भारत 45 दिन के वीज़ा पर आई हैं और यह वीजा 11 जून 2019 को पूरा होगा। मीडिया से बात करते हुए परविंदर ने कहा कि अब वो किरन के भारतीय नागरिकता के लिए सरकार से आवेदन करेंगे।

परविंदर ने बताया कि परिवारों ने 2016 में शादी की व्यवस्था की थी और उनके परिवार को शादी की तैयारी के लिए पाकिस्तान जाना था लेकिन पाकिस्तानी उच्चायोग ने उनके वीजा को रद्द कर दिया था। उन्होंने कहा, इसलिए परिवारों ने तय किया कि किरन और उसका परिवार भारत आएगा और हम मिल गए। किरन पाकिस्तान के एक निजी स्कूल में पढ़ाती हैं। उन्होंने कहा, “हमारी शादी शांति के सकारात्मक संकेत देगी।

दुल्हन किरन के पिता सुरजीत चीमा ने कहा कि हमारे बच्चों की शादी भी दोनों सरकारों को एक संदेश देती है कि दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने के बाद भी लोग मिलना चाहते हैं और संबंधों को बेहतर बनाने में व्यस्त हैं। अगर शांति बनी रहती है तो ये दोनों देशों के आम लोगों के लिए बेहतर होगा।

इस तरह दो मुहब्बत करने वाले दिन अब एक हो चुके है। किताब-ए-इश्क में दोनों ने अपने नाम सुनहरे अक्षरों में लिख डाले है। अब देखना होगा कि किरण को भारतीय नागरिकता कब तक मिलती है,

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