जावेद अंसारी
गांधीनगर। गुजरात को भाजपा का गढ़ माना जाता है। आज कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात में एक सभा के दौरान लगातार भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी पर जमकर निशाना साधा और कहा कि प्रधानमंत्री ने जिस अनिल अम्बानी को राफेल बनाने की ज़िम्मेदारी दिया है वह अनिल अम्बानी कागज़ का जहाज़ नही बना सकता है तो राफेल क्या बनायेगे।
गुजरात के गांधीनगर में एक रैली के दौरान कहा कि पीएम मोदी ने 2014 चुनाव के समय देश से जितने भी वादे किए थे वह आज तक पूरा नहीं किया जा सका है। उन्होंने इस दौरान राफेल हवाई जहाज सौदे का भी जिक्र किया। राहुल गांधी ने कहा की पीएम मोदी अनिल अंबानी से राफेल जहाज बनवाना चाहते हैं, लेकिन आपको बता दूं कि अगर आज अनिल अंबानी को कागज का जहाज भी बनाने बोल दिया जाए तो वह नहीं बना पाएंगे। राहुल गांधी ने कहा कि मोदी जी अनिल अंबानी को अपने साथ फ्रांस लेकर गए थे। वहां उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति से कहा था कि एचएएल की जगह अनिल अंबानी की कंपनी को ठेका दिया जाए।
राहुल गांधी ने कहा कि मोदी जी की नीतियों से देश में छोटे उद्योगपति बेरोजागर हो गए। मोदी जी शुरू से कहते रहे हैं कि वह कालेधन के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। लेकिन आज पांच साल बीतने के बाद भी आपके खातों में 15 लाख रुपये नहीं पहुंचे। नोटबंदी का जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी ने यह फैसला भी आरबीआई से पूछकर नहीं लिया था। नोटबंदी को लेकर मैं पूछना चाहता हूं कि बैंक के सामने खड़ी भीड़ में क्या आपने हिन्दुस्तान के काले धन वालों को खड़ा देखा था। आपने ऐसा नहीं देखा होगा। क्योंकि उस लाइन में सिर्फ आम आदमी और युवा थे। पीएम मोदी पर हमला करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि पीएम इन दिनों जहां भी जाते हैं कुछ न कुछ झूठ बोल जाते हैं।
उन्होंने कहा कि जीएसटी के नाम पर पांच अलग-अलग टैक्स लगा दिए गए। इससे छोटे कारोबारियों को दिक्कत हुई। राहुल ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद हमारी सरकार बनते ही हम आपको एक टैक्स वाली जीएसटी देंगे। उन्होंने पीएम पर सच्चे मुद्दे पर बात करने का भी आरोप लगाया। राहुल गांधी ने कहा कि पीएम यह नहीं बताना चाहते कि बीते पांच सालों में उन्होंने रोजगार के लिए कुछ नहीं किया। वह किसानों को यह याद नहीं दिलाना चाहते हैं कि उन्होंने किसानों की मदद नहीं की, कर्जा माफ नहीं किया। 2014 में पीएम ने कहा था कि प्रधानमंत्री मत बनाओं चौकीदार बनाओ। लेकिन उनके होते हुए ही देश का पैसा लेकर लोग भाग गए।
इस दौरान कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता रैली के दौरान उमड़ी भीड़ को देख गदगद नज़र आये। भीड़ तो काफी थी। मगर साथ ही ये भी हम बताते चले कि किसी रैली में भीड़ का तात्पर्य उस भीड़ के मतों में बदलाव से नही होता है। राजनितिक हलको में देखा जाए तो अक्सर रैलियों में भीड़ बहुत होती है। मगर ये भीड़ बाद में मतदान के समय उसी दल के साथ रहती है कोई ज़रूरी नही होता है। आप उदहारण के तौर पर देख सकते है कि पिछली लोकसभा चुनाव में वाराणसी संसदीय क्षेत्र में अरविन्द केजरीवाल की सभा में भी काफी भीड़ थी। रोड शो की बात करे तो एक ही दिन के तीनो रोड शो में काफी भीड़ थी। मगर ये भीड़ मतों में नही बदली ये एक अलग बात है। मगर गुजरात भाजपा में इस भीड़ को देख कर कही न कही से परेशानी के बल भी दिखाई दे रहे है।
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