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भला किसकी हुई मजाल जो मोदी के संसदीय क्षेत्र में मोदी के गढ़ में लगाया विरोध का पोस्टर

तारिक आज़मी

फोटो – ईदुल अमीन

वाराणसी। काशी भले ही बाबा भोलेनाथ की नगरी है। मगर 2014 के बाद से कुछ पत्तेचाटी करने को दीवाने परवाने मस्ताने लोग इसको बाबा भोले की नगरी कहने से बचते रहे है और इसको मोदी के नाम से जाना जाने लगा है। नया नारा बुलंद कर दिया थे इन लोगो ने। हर हर महादेव शम्भू, को नया नाम मिल गया था हर हर मोदी। भले किसी को इसके ऊपर आपत्ति नही हुई हो मगर चिंगारी मोदी के विरोध की अन्दर अन्दर सुलग रही थी।

अपने कारोबार पर कम्पटीशन की मार को झेल रहे काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के आस पास के दुकानदारों के लिए विश्वनाथ कारीडोर एकदम से कहर बनकर नाजिल हुआ। इसका काफी विरोध किया गया मगर विरोध की इस चिंगारी को सत्ता ने अपने पानी से ठंडा कर दिया। मकानों को ख़रीदा जाने लगा और उसको तोडा जाने लगा। काफी तोड़ फोड़ के बाद आज आस पास केवल चटियल मैदान दिखाई देते है। आरोपों को आधार माने तो इस क्रम में कई मंदिरों और शिवलिंग को तोड़ दिया गया और उनको फिकवा दिया गया।

इस क्रम में मंदिर बचाओ आन्दोलन की शुरुआत करते हुवे स्वामी अविमुक्तारेश्वरानंद ने काफी प्रयास किया। इस तोड़ फोड़ का काफी विरोध किया गया। कई बार ज्ञापन और विरोध के स्वर उठे मगर हर बार सत्ता के दबाव कहे अथवा प्रशासनिक पहल ये विरोध लगातार दबते चले आये है। इसी विरोध के दरमियान सर्द सियाह एक रात में अचानक शहर में हडकंप मच गया था जब लंका थाना क्षेत्र में एक मलबे से काफी एक शिवलिंग बरामद हुवे थे। राजनीती से परे मंदिर बचाओ आन्दोलन के स्वामी अविमुक्तारेश्वरानंद ने इस बार भी मोर्चा संभाला था मगर नतीजा सिफर निकला। प्रशासन ने मुकदमा तो दर्ज किया था और आनन फानन में किसी मकान का मलबा दिखाते हुवे कार्यवाही कर दो चार लोगो को हिरासत में ले लिया और मामला शांत हो गया। इसके विरोध में स्वामी अविमुक्तारेश्वरानंद ने एक पत्रकार वार्ता कर इस खुलासे का भी जमकर खुलासा किया था मगर फिर वही लफ्ज़ रवानगी-ए-कलम के दरमियान अपना वजूद ले बैठा और मामला ठंडा पड़ गया।

अब जब सब कुछ सामान्य दिखाई दे रहा था और लोकसभा चुनावों का बिगुल फुक चूका है तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक बार फिर वाराणसी से प्रत्याशी है तो ये खबर भाजपा खेमे में बेचैनी पैदा करने को काफी है। छत्ताद्वार (विश्वनाथ मंदिर परिसर) के आस पास के दुकानदारो ने अपनी दुकानों के बाहर अपनी रोज़ी रोटी पर पड़े संकट के बादलो को देखते हुवे कागज़ पर छपा एक पोस्टर लगा रखा है। पोस्टर में साफ़ लिखा है “हमारी भूल कमल का फुल”। इसके अलावा इस पोस्टर के नीचे दो लाईनों का शेर और लिखा है “मोदी जी करो एक काम, रोटी का कर दो इंतज़ाम।”

ये काशी विश्वनाथ के छत्ताद्वार की करीब करीब हर एक दुकानों पर लगा है। पोस्टर के लगने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओ ने बेचैनी दिखाई दे रही है। जहा एक तरफ सांप्रदायिक रूप से मतों को अपने तरफ करने की जद्दोजहद में लगी भाजपा के लिए वाराणसी की सीट प्रतिष्ठा का विषय बन गई है। वही दूसरी तरफ कांग्रेस द्वारा प्रियंका गाँधी के चुनाव मैदान में आने की सुगबुगाहट ने भाजपा खेमे में हलचल मचा कर रख दिया था। उसके ऊपर मोदी का इस प्रकार का खुला विरोध सामने आने से कही न कही से भाजपा की बेचैनी को और बढ़ा दिया है। अब देखना होगा कि चुनावों की बारात लगने के ठीक पहले इस विरोध को भाजपा किस प्रकार से ठंडा करती है। या फिर ये विरोध की चिंगारी कोई शोला बनती है। वैसे वक्त अभी ज्यादा तो नही बचा है और कांग्रेस द्वारा प्रत्याशी की घोषणा अभी नही होने से बेचैनी की हद और ज्यादा बढ़ी हुई है।

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