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जो स्वयं को नही जाना वो परमात्मा को जान ही नही सकता श्री निजनामगुरू निर्भय नारायण महाराज जी,.

मुकेश यादव

मधुबन मऊ जनपद 

आत्मबोध सेवा संस्थान का सत्यचर्चा दिनांक 16.5.2019 को सूरजपुर श्री कैलास जी के घर पर आयोजित किया गया जिसमे मुख्य अतिथि श्री निजनामगुरू देव महाराज एवं गुरू माता श्रीमती प्रमिला देवी एवं समस्त संत गणो का आगमन हुआ था, जिसमे सत्यचर्चा के माध्यम से लोगो को जागरूक करना लुप्त हो रही शिश्टाचार को वापस लाना,एवं मूर्ती पूजा आडम्बरो तथा अन्धविशवासो मे फसें लोगो को जागरूक कर उनको उससे बाहर निकालने का कार्य किया गया, श्री निजनामगुरू ने बताया कि पुरूषो के लिये तीन पूजा माता,पिता एवं गुरू तथा स्त्रियों के लिये चार पूजा सास, ससुर , गुरू एवं पति इसके सिवा इस संसार मे कोइ पूजा नही है,यही वर्तमान के देवता हैं जो देने का कार्य करते हैं,इन्हे ही पूजकर स्त्री सतिव्रता तथा पतिव्रता बन सकती हैं पुरूष अपने आप का बोध कर सकता है तथा उस देवत्व को प्राप्त कर सकता है गुरू वैसा होना चाहिये जो ब्रह्मग्यानी हो जो स्वयं को जानता हो जो खुद मे ही खुद से मिला सकता है वैसे गुरू के शरण मे जाने पर स्वयं की प्राप्ति तथा अपने आप का ग्यान प्राप्त होगा, लेकिन संसार उस भगवान को बाहर मूर्ती मन्दिर मस्जिद गुरूद्वारा पत्थरों मे ढूंढता है जो उसमे है नही और आज इस संसार मे इसी भगवान को बताने के लिये अनेक संस्थाओं का उदय हुआ है

तथा उसमे अनेक गुरूओं के द्ववारा उस भगवान को बताने का कार्य किया जा रहा है इसमे से अनेक गुरू जो बाहर मूर्ती के हि पूजा मे लिप्त कर भगवान को प्राप्त करने की बात करते हैं और कुछ गुरू कोइ अनहद को सुनाकर कहता है कि मै भगवान की प्राप्ति कर लिया हूँ तो को खिचड़ी मुद्रा प्रकाश को दिखाकर कहता है कि मै आत्मा ग्यानी हो चुका हूँ तथा कुछ मंत्रों के जाप द्ववारा लोगों को शान्ति प्रदान कर रहे हैं और आत्मग्यान की बात कर अपने आप को सत्गुरू घोसित कर रहे हैं लेकिन निजनामगुरू जी का कहना है कि यह सब निचे की चीज है यह एक दो तीन की पढ़ायी है अनहद प्रकाश खिचड़ी इसका मतलब कुछ नही यह सब बहुत नीचे की चीज है इससे लोगो को आडम्बरों तथा अन्धविशवासो मे फसाते जा रहे हैं कोई भी अन्तिम समय का ग्यान नही दे रहा है जो स्वयं का ग्यान है जो इस संसार से जाने के समय काम करता है वह ग्यान इस मंत्र खिचड़ी अनहद प्रकाश मे नही है बल्कि यह तो इस संसार मे मनुश्य का छणिक सुख है जो चमत्कार से हो रहा है आत्मग्यान का मतलब जो स्वयं चमत्कार बन जाता है जो अपने उस भगवान को प्राप्त कर लेना है यह ब्रह्मग्यानी के द्ववारा ही प्राप्त किया जा सकता है निजनामगुरू का कहना है कि आज लोग बुद्ध की पूजा मे लिप्त हो गये हैं लेकिन बुद्ध ने मूर्ती पूजा का बिरोध किये थे जरूरत है उस ग्यान को जानने की जो ग्यान बुद्ध ने प्राप्त किया था जो ग्यान मिलने से पहले लोग उन्हे सिद्धार्थ के नाम से जानते थे ग्यान प्राप्त होने के बाद उन्हे बुद्ध कहा गया जरूरत है शिव जी के उस ग्यान को जानने की जिस ग्यान की वजह से उनकी पूजा हो रही है वो ग्यान बड़ा है शिव जी नही आज लोग क्रिश्न को किस रूप मे देखते हैं उन्हे प्रेमी घोसित कर दिया गया आखिर कौन सा प्रेम किये थे वो उसे जानने की जरूरत है, समस्त संत गण संत श्री पिन्टू जी,रामसकल जी, अगस्त जी,पुश्पा देवी, उर्मिला देवी, मंसा देवी,ब्रिजेश जी,लल्लन जी,हीरालाल जी,श्री निवास जी,आदित्य जी,विकास जी,धनवती देवी,गनेश जी,राजकुमारी देवी,लीलावती देवी, ब्रिजकिशोर जी,ब बिरबल जी,संदीप आदि सभी संत गण उपस्थित थे एवं ग्रामवासी,

aftab farooqui

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