संजय ठकुर / रूपेंद्र भारती
घोसी /मऊ। घोसी लोकसभा का चुनाव काफी रोचक बन गयी है। यहा का चुनाव परिणाम टक्कर का है। यह चुनाव दो प्रत्याशियों के बीच का होकर रह गया है। इनके अलावा अन्य प्रत्याशियों का अपनी जमानत बचाने के लिए भी मत प्राप्त करना भी मुश्किल नजर आ रही है।
यही नही दूसरी तरफ अब्बास अंसारी के नेतृत्व में भी गठबंधन को फायदा हुआ है। लगातार तीन वर्षो से इसी इलाके में अपनी राजनितिक ज़मीन बनाने वाले मऊ सदर विधायक मुख़्तार अंसारी के पुत्र और युवा बसपा नेता अब्बास अंसारी ने उसी तरह इस चुनाव में कूटनीति का उपयोग किया जिस प्रकार नगर पंचायत चुनाव में तय्यब पालकी के लिए किया था। भारी विरोध के बावजूद अंत में तैयब पालकी चुनाव जीत गए थे। इस बार भी अब्बास ने अतुल राय के ऊपर हुवे मुक़दमे का राजनितिक फायदा विपक्ष के बजाय खुद उठाया। गठबंधन के प्रचार में सहानुभूति जोड़ने का प्रयास हुआ और जानकार बताते है कि सहानुभूति के मत मिले भी। इस बीच लगभग पुरे चुनाव में अतुल राय खुद भूमिगत थे। भूमिगत होते हुवे भूमिहार समाज का वोट भी उन्होंने बढ़िया साधा।
इन समीकरणों को अगर देखे तो कही न कही से अतुल राय भाजपा प्रत्याशी से आगे निकलते दिखाई दे रहे है। वही कांग्रेस प्रत्याशी और भाकपा प्रत्याशी ने भाजपा के वोट बैंक पर सेधमांरी किया है। अगर ये दोनों द्वारा किये गए सेंधमारी का प्रतिशत अधिक हुआ तो फिर भाजपा को इस सीट पर करारी हार भी देखना पड़ सकता है। वैसे जानकार बताते है कि गठबंधन प्रत्याशी अतुल राय यहाँ से चुनाव जीतते प्रतीत हो रहे है क्योकि उनके पक्ष में एम वाई फैक्टर के साथ भूमिहार मतों का भी काम करना बताया जा रहा है।
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