तारिक खान
प्रयागराज। न खाऊंगा न खाने दूंगा का नारा देने वाली भाजपा सरकार में प्रयागराज जनपद में वर्ष 2017-18 के मिड-डे-मील घोटाले की खबर प्रकाशित होने के बाद से हड़कम्प मचा हुआ है जिसमे बीएसए के पत्र के बाद अब उप श्रमायुक्त ने भी रिकवरी के लिए संस्थाओं को तलब कर लिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रयागराज जनपद में राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना के अंतर्गत बाल श्रम विद्यालयों में विशेष प्रशिक्षण के लिए पंजीकृत बच्चों को भी मिड-डे-मील के तहत मध्यान्ह भोजन दिया जाता है। बताया जा रहा है कि वर्ष 2017-18 के दौरान दिशा दृष्टि, नई किरण विश्व बन्धु, अमृषा व जनहितकारिणी सेवा समिति आदि कई संस्थाओ द्वारा संचालित बाल श्रम विद्यालयों में मिड-डे-मील के धन आबंटन में भारी अनियमितता के कारण जनपद में लगभग बीस लाख रूपयों का भारी घोटाला हुआ है।
खास बात यह है इसके लिए जिला स्तरीय कमेटी में बीएसए पदेन सचिव व डीएम पदेन चेयरमैन होता है व बीएसए के हस्ताक्षर से ही धन आबंटित होता है। जिले स्तर पर इसका प्रभारी जिला समन्वयक होता है। इतनी बड़ी व्यवस्था के बावजूद इस घोटाले में जरूर कोई बड़ा खेल हुआ है। इस बावत बात करने पर संजय कुमार कुशवाहा, बीएसए प्रयागराज ने घोटाले को स्वीकार किया है व कहा है कि उन्होंने उप श्रमायुक्त को रिकवरी करने के लिए पत्र जारी कर दिया है।
उधर जब राकेश द्विवेदी, उप श्रमायुक्त प्रयागराज से बात की गई तो उन्होंने भी इस घोटाले को स्वीकार करते हुए कहा कि उन्हें बीएसए के दो पत्र प्राप्त हुए हैं तथा उप श्रमायुक्त ने सम्बंधित संस्थाओं को पत्र जारी करके रिकवरी के लिए तलब किया है। उन्होंने यह भी बताया है कि धन वापस न करने वाली संस्थाओं पर एफआईआर दर्ज कराकर विधिक कार्यवाही की जाएगी। फिलहाल इस योजना के जिला प्रभारी व समन्वयक राजीव त्रिपाठी से बात करने की कोशिश की गई तो पिछले तीन दिन से उनका फोन लगातार स्विच ऑफ है।
बड़ा सवाल यह है कि बच्चों के मध्यान्ह भोजन में भी घोटाले से न चूकने वाले जिम्मेदार अधिकारियों पर कब तक व क्या कार्यवाही होती है? जो सरकार खुद को घोटाला मुक्त सरकार होने का दावा करती रहती है उसके शासन काल में इस प्रकार से घोटाला होना और फिर मीडिया के द्वारा रिपोर्ट्स प्रकाशित होने के बाद प्रशासन का जागना बड़ा सवाल खड़ा करता है. आखिर किस कारण से अभी तक सम्बंधित अधिकारियो को इस घोटाले की जानकारी नही मिली. आखिर वो कौन अधिकारी है जिनके संरक्षण में ये घोटाला हो गया. क्या सिर्फ पैसे वापसी से ही बात बन जायेगे. कही ऐसा तो नही घोटाला और भी हो और उसके तक आंच न पहुचे तो पैसे वापसी में प्रशासन परेशान दिखाई दे रहा है.
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