तारिक खान
प्रयागराज : इलाहाबाद और फूलपुर लोकसभा सीटों पर जातीय समीकरण धराशायी हो गया। दलों ने जिस हिसाब से जातीय समीकरण को साधते हुए प्रत्याशी उतारे थे, वह सब मोदी मैजिक के आगे नहीं टिका।
गठबंधन के तहत इलाहाबाद सीट सपा को मिली थी। सपा ने आखिर में अपना प्रत्याशी उतारा था। पार्टी ने जातीय समीकरण को साधते हुए राजेंद्र सिंह पटेल को उतारा था। दरअसल, इस क्षेत्र में लगभग पौने तीन लाख पटेल, करीब डेढ़ लाख यादव और सवा दो लाख के करीब मुस्लिम मतदाता हैं। इसके अलावा लगभग ढाई लाख दलित मतदाता हैं। वहीं तीन लाख ब्राह्मण, करीब एक लाख क्षत्रिय और भूमिहार, 75 हजार कायस्थ व दो लाख वैश्य हैं। इस हिसाब से कांग्रेस ने योगेश शुक्ला को उतारा था। भाजपा ने सबसे पहले ही रीता जोशी को प्रत्याशी बनाया था। भाजपा नेता डॉ. भगवत पांडेय का कहना है कि शहर से लेकर पूरे यमुनापार में जातीय समीकरण ध्वस्त हो गया। हर ओर मोदी का मैजिक चला।
विकास कार्यो के बल पर पार्टी प्रत्याशी को जनता ने चुना। इसी तरह फूलपुर में भी पीएम मोदी का ही जादू चला। यहां पौने तीन लाख पटेल, ढाई लाख मुसलमान, दो लाख यादव तथा डेढ लाख दलित मतदाता हैं। डेढ़ लाख के करीब कायस्थ, दो लाख ब्राह्मण, सवा लाख वैश्य मतदाता हैं। यहां भी गठबंधन प्रत्याशी ने पंधारी यादव को जातीय समीकरण साधते हुए उतारा गया था। इस क्षेत्र में भी मोदी के नाम की ऐसी लहर थी कि भाजपा प्रत्याशी केशरी देवी पटेल को भारी मतों से विजयश्री हासिल हुई। पूर्व विधायक दीपक पटेल ने बताया कि पीएम मोदी और सीएम योगी के विकास कार्यो को आमजन ने देखा, इसलिए पार्टी प्रत्याशी का समर्थन किया।
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