तारिक आज़मी
सोशल मीडिया अक्सर ही अफवाहों का पिटारा बन जाता है, सोशल मीडिया को अगर मायावी दुनिया कहा जाए तो गलत नही होगा क्योकि एक हाथ में मोबाइल लेकर बेडरूम में आराम फरमाते कूलर अथवा एसी रूम की ठंडक में बैठे ये लोग कुछ भी लिख देते है। इसको हकीकत से लेना देता तो होता नही कुछ मगर उसका पूरा वर्णन इस प्रकार लिखते है कि जैसे वह वास्तव में वही बैठे हो।
बात कुछ इस तरह होती है कि आम के पेड़ न देखे शक्स भी आम की प्रजातियों के बारे में लम्बे चौड़े भाषण दे डालता है। एक बार तो हद खत्म हो गई जब मैंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट देखा जिसमे दावा किया गया था कि बनारस में एयर बस चल रही है। मैं भी इस दावे को लेकर काफी बेचैन हो उठा क्योकि इसी वाराणसी यानी काशी यानी बनारस का मूल निवासी हु। मगर मैंने एयर बस तो छोड़े साहब कभी सिटी बस को भी सिटी में चलते नही देखा था। हां जीटी रोड और बड़ी सडको की बात और है।
पहले तो व्यापारिक प्रतिस्पर्धा ने इस क्षेत्र को पीछे दालमंडी की मार्किट ने छोड़ा उसके बाद बची कसर विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद की सुरक्षा ने तोड़ दिया। ऐसा नही कि इसके पहले सुरक्षा नही रहती थी मगर बाद में इसको और अधिक बढ़ा दिया गया। व्यापार की कमर लगभग टूट गई और व्यापारी अपने व्यवसाय के साथ पलायन करने लगे। कुछ ने तो इस क्षेत्र में अपने कारोबार का रंग रूप बदल लिया, इसके आस पास के इलाको में सभी मकान हिन्दू सम्प्रदाय के लोगो के थे और कभी ये क्षेत्र तनाव का सबब नही बना। हिन्दू मुस्लिम एकता कहे अथवा इसको गंगा जमुनी तहजीब का मरकज़ कहे कि जिस प्रकार मंदिर में प्रार्थना होती थी उसी तरह ज्ञानवापी मस्जिद में शांति से नमाज़ भी। समय का बदलाव जितना हुआ मगर ये सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है।
क्या है वायरल वीडियो में
कारीडोर निर्माण हेतु सरकार ने आस पास के सभी मकानों को खरीद लिया है और मकानों को तोड़ कर समतल कर दिया गया है। अब कुछ सोशल मीडिया के शूरवीर इस जगह का वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे है और दलील दे रहे है कि औरंगजेब के वंशज मुस्लिम सम्प्रदाय के मकान को प्रधानमंत्री मोदी ने खरीद कर उन सभी मकानों को तोड्वा दिया है और उन मकानों में से कई मंदिर प्राचीन काल के बरामद हुवे है।
हम आपको बताते चले कि ये सिर्फ एक झूठ का पुलिंदा है। इस वायरल वीडियो का हकीकी ज़मीन पर कोई भी लेना देना नही है। मैं स्वयं वाराणसी का मूल निवासी हु और इसी इलाके में बचपन से खेल कूद कर बड़ा हुआ हु। इस इलाके के आसपास थोडा दूरी पर धुन्धराज गली में सिर्फ एक मकान मुस्लिम संप्रदाय का है। और कारीडोर का काम उस तरफ नही चल रहा है। मकान पूरी तरह से मकान मालिक के खुद के कब्ज़े में है। वही उसके बगल में एक छोटी सी मस्जिद है जिसमे प्रतिवर्ष रमजान के दस दिन तरावीह की नमाज़ होती है। इस वर्ष भी नमाज़ बदस्तूर हुई है।
क्या कहते है शहर के मोअज्जिज़ लोग
इस सम्बन्ध में सबसे पहले हमने ज्ञानवापी इंतेजामिया कमेटी के सेक्रेटरी सैयद मोहम्मद यासीन साहब से रफ्ता कायम किया। बुज़ुर्ग यासीन साहब ने हमको बताया कि कभी भी इस क्षेत्र में मुस्लिम सम्प्रदाय का मकान मेरे होश में तो नही रहा। हां अगर पुरातन काल में होने का दावा कोई करता है तो उसकी मैं बात नही करता हु। इस क्षेत्र में हमारे हिदू भाइयो का मकान हुआ करता था। उसमे भी अधिकतर ब्राह्मण भाइयो के मकान थे। मुस्लिम वर्ग का मकान होने का दावा सिर्फ झूठ है और माहोल में खराबी पैदा करने के लिए लोग ऐसा दावा कर सकते है।
बनारस की वरिष्ठ अधिवक्ता एड नजमी सुल्तान की रिहाईश पास के ही क्षेत्र दालमंडी की है। उन्होंने हमसे बात करते हुवे कहा कि कोई भी मकान मुस्लिम सम्प्रदाय का नही था। सिर्फ एक घर है वह भी ढूढराज गली में है। वह अभी मेरी जानकारी में सरकार ने नहीं खरीदा है। दो चार सौ साल पहले की अगर कोई बात करता है तो नहीं कह सकती मगर इस इलाके में कभी मुस्लिम मकान नही थे। हां रेड ज़ोन के पास ही दालमंडी क्षेत्र मुस्लिम सम्प्रदाय बाहुल्य क्षेत्र है। वही विश्वनाथ कारीडोर क्षेत्र में कोई मकान मुस्लिम सम्प्रदाय का नही है। ये सिर्फ सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने का तरीका है। बनारस में हिन्दू मुस्लिम एक साथ प्रेम से रहते है। यहाँ कभी सांप्रदायिक सोच किसी की नही रही है।
मो सलीम खान (पार्षद)
साजिद अंसारी
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