तारिक आज़मी
वाराणसी। लोग उसको निरहू कहते थे। छोटा ही था मात्र 15 साल का। मगर अपने पिता शिव प्रसाद के गुज़र जाने के बाद से अपने एक छोटे भाई, एक छोटी बहन और माँ की ज़िम्मेदारी वह बखूबी निभाता था। बोरा सिलकर चार पैसे कमाने वाले इस निरहू का असली नाम ऋतिक था। उम्र कम ही थी तो उसका भी मन कभी कभी खेल कूद को करता था। उसका शौक तैराकी था। पास में त्रिलोचन घाट पर वह अक्सर जाकर तैरता था। एक बेहतरीन तैराक था वह। मगर कोइला बाज़ार के रहने वाले इस निरहू उर्फ़ ऋतिक को क्या पता था कि कल उसका आखिरी तैराकी का दिन ही नही बल्कि आखरी ज़िन्दगी का दिन है। कल गंगा में तैरते हुवे इस ऋतिक उर्फ़ निरहू की साँसे एक स्टीमर के चपेट में आने से थम गई और वह भी अपने माँ और छोटे भाई बहन को अकेला छोड़ कर इस दुनिया से रुखसत हो गया।
घटना कुछ इस प्रकार है कि वाराणसी के आदमपुर थाना क्षेत्र में रहने वाले स्व। शिवप्रसाद का बड़ा बेटा ऋतिक उर्फ़ निरहू (15) बोरा सिल कर अपनी माँ और छोटे भाई व एक बहन का खर्च चलता था। ऋतिक को तैराकी का काफी शौक था और लगभग रोज़ ही तैरने के लिए वह त्रिलोचन घाट पर जाता था। इसी क्रम में कल शाम को भी वह गया था। बताया जाता है कि तैरते समय उसके ऊपर से एक स्टीमर गुज़रा और स्टीमर की पंखी से सर टकराने के कारण घायल होकर वह डूब गया। लड़के के डूबने की खबर जंगल में आग की तरह आस पास के लोगो को पहुची और लोग घाट की तरफ दौड़ पड़े। सभी निरहू को बचाना चाहते थे। कुछ तैराक तत्काल उस जगह पहुचे जहा पर निरहू को चोट लगी थी। मगर निरहू का कुछ पता नही चला। सुचना पाकर मौके पर पहुचे मछोदरी चौकी इंचार्ज राजकुमार ने तत्काल इसकी जानकारी एनडीआरऍफ़ को दिया और एनडीआरऍफ़ की एक टीम मौके पर पहुची।
फिर हुई वाराणसी की एनडीआरऍफ़ फेल, प्राइवेट गोताखोरो ने तलाशी लाश
खुद की उपलब्धियों पर खुद ही अपनी पीठ थपथपाने वाली एनडीआरऍफ़ एक बार फिर कल असफल साबित हुई। मौके पर पहुची एनडीआरऍफ़ ने कुछ देर लाश तलाशने की कोशिश किया मगर उनको लाश नही मिली। अपने नाम पर असफल सर्च आपरेशन का ठप्पा लगा कर वाराणसी की एनडीआरऍफ़ टीम वापस चली गई। निरहू गरीब परिवार का बच्चा था, शायद किसी बड़े घराने से रहता तो रात भर एनडीआरऍफ़ सर्च आपरेशन करती रहती। स्थानीय पुलिस को भी इसकी तनिक चिंता नही हुई और परिजानो को बेहाल छोड़ कर सभी वापस चले गए।
इसकी जानकारी सुबह प्रहलाद घाट निवासी प्राइवेट गोताखोरों को हुई। जानकारी होने पर एक गरीब बच्चे की लाश को तलाशने के लिए प्राइवेट गोताखोर गजानंद, महेंद्र, छोटू और रामजी मौके पर पहुचे। अपनी गोताखोरी के लिए मशहूर ये चारो ने पानी में छलांग लगाई और मात्र आधे घंटे के इस सर्च आपरेशन में ऋतिक उर्फ़ निरहू की लाश को तलाश लिया। सभी गोताखोरों की क्षेत्र में तारीफों की काफी चर्चा रही और लगातार इस बात की चर्चा हो रही है कि जिस काम को एनडीआरऍफ़ न कर सकी उस काम को कुछ ही समय में इन प्राइवेट गोताखोरों ने कर डाला।
लाश मिल पर क्षेत्रीय चौकी इंचार्ज राजकुमार लाश को सील कर पोस्टमार्टम हेतु भेजने की तैयारी कर रहे थे। इस दौरान मृतक के परिजन पोस्टमार्टम हेतु तैयार नही हुवे और लाश को पंचनामा करके उनके हवाले करने की मांग करने लगे। अंततः परिजनों की मांग को देखते हुवे थाना प्रभारी आशुतोष ओझा के निर्देश पर समस्त लिखा पढ़ी करके मृतक की लाश को परिजनों के हवाले कर दिया गया। समाचार लिखे जाते समय मृतक निरहू का अंतिम संस्कार हो रहा था।
इस पूरी घटना में एक बार फिर से एनडीआरऍफ़ टीम की किरकिरी हुई है। क्षेत्र में एनडीआरऍफ़ के प्रयासों की आलोचना ही हो रही है। चर्चा है कि एनडीआरऍफ़ ने एक बार फिर प्रयास मन से नही किया है। वही प्राइवेट गोताखोरों ने उसी काम को मात्र आधे घंटे में सफलता के साथ अंजाम दे दिया। एक बार फिर एनडीआरऍफ़ को इन असफल प्रयासों पर मंथन करना चाहिये।
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