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काशी से उठी आवाज़ – राजनैतिक दलों को आरटीआई में लाईये, संसद में कानून बनाईये मोदी जी

ए जावेद

वाराणसीक्रांति फाउंडेशन ने नोटा प्रतिनिधि के रूप में आज प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर मांग किया है कि राजनैतिक दलों को आरटीआई के दायरे में लाने के लिए संसद में क़ानून बनाया जाए. इस प्रकरण में संस्था के द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि सर्वप्रथम हम सब क्रांति फाउंडेशन के सदस्यों की तरफ से आपको भारतीय लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व अर्थात लोकसभा चुनाव 2019 मे प्रचंड जीत के लिए बहुत बहुत बधाई ! माननीय आशा करते हैं कि आपकी यह जीत लोकतंत्र को और मजबूत बनाते हुए भारत को विकास के पथ पर अग्रसर रखेगी।

लिखा है कि माननीय हम सभी आपसे निवेदन करना चाहते हैं कि हमने लोकसभा चुनावों के पूर्व सभी राजनैतिक दलों से यह अनुरोध किया था कि सभी राजनैतिक दलों को केंद्रीय सूचना आयोग के 3 जून 2013 के आदेशानुसार जनसूचना कानून के अंतर्गत आना चाहिए जिससे पारदर्शिता व ईमानदारी की मिसाल कायम हो सके तथा आम चुनावों मे जनता के बीच राजनैतिक दलों की पारदर्शिता से संबंधित एक अच्छा संदेश जा सके।परंतु लोकसभा चुनाव 2019 प्रारंभ होने तथा समाप्त होने के बाद भी किसी भी राजनैतिक दल ने न तो स्वयं को आर टी आई के दायरे के अंतर्गत लाने की घोषणा की न ही इसे अपने घोषणापत्र मे कहीं कोई स्थान दिया।इससे यह स्पष्ट हो गया कि राजनैतिक दलों मे पारदर्शिता व ईमानदारी की भारी कमी है जिससे वो आर टी आई के दायरे मे आने से बच रहे हैं।इसलिए हम सभी ने लोकसभा चुनाव 2019 मे नोटा पर वोट दिया तथा नोटा का जमकर प्रचार प्रसार किया।

लिखा है कि लोकसभा चुनावों मे पूरे देश मे 65 लाख से ऊपर लोगों ने नोटा पर मत देकर यह संदेश दिया कि लोगों का विश्वास राजनैतिक दलों से उठ रहा है जो कि भारतीय लोकतंत्र के लिए चेतावनी है। इसका एक प्रमुख कारण राजनैतिक दलों का आर टी आई के दायरे मे आने से इंकार करना है जिसके कारण आम जनमानस मे राजनैतिक दलों के प्रति नाराजगी है।एक आम भारतीय यह जानना चाहता है कि राजनैतिक दलों के पास छुपाने को ऐसा क्या है जो वो आर टी आई कानून के दायरे मे आने से बच रहे हैं।आम जनता के बीच राजनैतिक दलों की छवि लगातार गिरती जा रही है जो लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है।

लिखा गया है कि राजनैतिक दलों को आर टी आई कानून के दायरे मे लाने से उन दलों के करोड़ों राजनैतिक कार्यकर्ताओं को भी अधिकार मिल सकेंगे जो मात्र किसी दल के भीतर झंडा ढोने व दरी बिछाने का कार्य करते रहे हैं। आर टी आई कानून के दायरे मे आने के बाद राजनैतिक दलों को चुनावों मे टिकट वितरण का आधार भी बताना पड़ेगा जिससे एक आम कार्यकर्ता भी अपनी योग्यता के आधार पर टिकट प्राप्त कर पायेगा तथा बाहुबलियों,धनबलियों व आपराधिक छवि के आवेदनकर्ताओं को दलों का टिकट मिलना मुश्किल हो जायेगा।आर टी आई के दायरे मे आने पर राजनैतिक दलों को अपने सभी छोटे बड़े चंदों को सार्वजनिक करना पड़ेगा जिससे पारदर्शिता व ईमानदारी की नई परंपरा का उदय होगा।

इस दौरान संसथान इस मांग को दिखाते हुवे हुई एक पत्रकार वार्ता के दौरान संसथान के राष्ट्रीय अध्यक्ष ई० राहुल सिंह ने आज एक प्रेसवार्ता करके उक्त शिकायती पत्र की प्रति को पत्रकारों को दिखाते हुवे कहा कि मैं आखरी दम तक नोटा प्रतिनिधि के रूप में क्षेत्र का विकास करते रहेगे

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