फारुख हुसैन
सिंगाही खीरी। छोटी सी ही वस्तु क्यों न हो, यदि तुम्हें अच्छी लगती है तो तुम उसे आगे तक के लिए संभाल कर रखते हो। नहीं चाहते कि तुम्हारी उस जरूरी वस्तु को कोई भी नुकसान पहुंचाए। इसी तरह सिंगाही क्षेत्र में भी सुंदर और ऐतिहासिक महत्व वाली कई ऐसी इमारतें हैं, जिनको संभाल कर रखना जरूरी है। दुनियाभर में ऐसी कई इमारतें हैं, जिन्हें देख कर यह यकीन नहीं होता कि उन्हें इंसान ने बनाया है। हैरत तब होती है, जब यह सोचते हैं कि उस समय तो आज की तरह मशीनें और तकनीक भी नहीं थी।
राजमहल
महारानी की मूर्ति
राजमहल के ठीक सामने काली मंदिर की तरफ मुंह करके महारानी सूरथ कुमारी की मूर्ति भव्यता का बोध कराती है। यह मूर्ति अष्टधातु की बनी हुई है। इसे इटली से बनवाया गया था।
राजमहल के सामने बनी काली मंदिर
महाराजा इंद्र विक्रम शाह प्रतिमा
काली मंदिर के पूर्वी द्वार पर विराजमान महाराजा इंद्र विक्रम शाह की प्रतिमा देखते ही नहीं बनती है। अष्टकोणीय आठ खंभों से युक्त इस प्रतिमा को 1984 में स्थापना की गई थी। कुछ साल पहले चोर इनकी तलवार काट ले गए थे।
तिलस्म व भूलभुलैया
कसबे से मात्र एक किलो मीटर की दूरी पर सिंगाही रियासत की महारानी द्वारा सरयू नदी के तिलगवा घाट पर अपने शासन काल के दोरान तिलिस्म भूल भुलय्या का निर्माण 1926 में राज्य के सूबेदार पन्त जी तिलिस्म भूल भुलय्या व ऊपर शिव मंदिर के ऊपर तिलिस्म भूल भुलय्याआज भी बनी हुई हे पूरे परदेस के दर्शक इस तिलिस्म को देखने आया करते थे यहाँ बने ट्रस्ट की अनदेखी के कारण अब यह तिलिस्म भूल भुलय्या उपेछित हो गया यहाँ के बुजुर्ग लोग बताते हें की ऐसा ही एक तिलिस्म भूल भुलय्याअवध की राजधानी लखनव में बना हे।
राजमहल में हुई शूटिंग
कस्बे के राजमहल में आखरी प्रजा, हवेली, नामक टीवी सीरियल फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है वीनस फिल्म पोडक्सन के बैनर तले बनने वाले सीरियल के श्याम शर्मा द्वारा पटकथा राजशाही से लेकर राजनीति के दौर को लिखी गई आखरी प्रजा की थी इसमें यह दर्शाने का प्रयास किया गया है कि राजशाही के बाद लोकतंत्र आने पर जनता बेहाल है। पहले राजा जनता का शोषण करते अब राजनेता जनता का शोषण कर रहे हैं।
राजा मनुराज कर रहे राजमहल का रख रखाव
राजमहल के कुंवर राजा मनुराज सिंह ने बताया कि हर इमारत को अपने मूल रूप में सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी हमारी ही होती है जिसे हमने बहुत ही सुंदरता के साथ संवारा है और विडंबना तो यह है कि हम ही इसे नुकसान पहुँचाते हैं। कुछ लोग इन इमारतों पर नाम आदि कुरेदकर खराब करते हैं तो इनका सौंदर्य बिगा़ड़ते हैं, परंतु वे यह भूल जाते हैं कि जिसके निर्माण में वर्षों लगे और जो आज हमारी शान बनी हुई है, उसके साथ यह खिलवाड़ क्यों? सुधार प्रक्रिया में पहले स्थान की स्थिति देख यह तय किय जाता है कि मरम्मत की आवश्यकता है या रसायनों के प्रयोग से उसे सुधारा जा सकता है। ऐसे में ध्यान रखकर इन धरोहरों को बचाने के पूरे प्रयास किए जाते हैं।
आप भी बन सकते हो पर्यटन स्थल के रक्षक
ऐतिहासिक स्थलों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी किसी एक व्यक्ति, संस्था या सरकार की नहीं है। तुम भी अपने स्तर पर इनके रक्षक बन सकते हो। खाने-पीने का समान इधर-उधर न फेंककर कूड़ेदान में डालें दीवारों पर कुछ न लिखें लावारिस वस्तुओं के मिलने पर प्रशासन या पुलिस विभाग को सूचित करें। गर्मी के दिनों में हैट, गॉगल्स और पानी की बोतल साथ में जरूर ले जाएं। कैमरा ले जाना भी अच्छा रहेगा।
मो0 कुमेल डेस्क: ज्ञानवापी मस्जिद के मुताल्लिक एक फैसले में पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड के…
तारिक खान डेस्क: मध्य प्रदेश के शिवपुरी ज़िले में 26 नवंबर को एक दलित युवक…
तारिक आज़मी डेस्क: पहले ज्ञानवापी मस्जिद, फिर मथुरा शाही ईदगाह और इसके बाद संभल के…
संजय ठाकुर आजमगढ़: ऑनलाइन बेटिंग एप के ज़रिये अधिक पैसा कमाने का लालच देकर लोगो…
आदिल अहमद डेस्क: रूस ने पहली बार माना है कि यूक्रेन की ओर से किए…
माही अंसारी डेस्क: भारत के जाने-माने उद्योगपति गौतम अदानी और उनके कुछ सहकर्मियों के ख़िलाफ़…