तारिक आज़मी
वाराणसी. अपराधियों के खिलाफ भले वाराणसी पुलिस सख्त रही है, मगर स्थिति ऐसी आज भी है कि अपराधियों के हौसले आज भी बुलंद है। आदमपुर थाना प्रभारी सतीश सिंह के बैठते ही क्षेत्र में अपराधियों ने उनको आज चुनौती दे डाली जब आज दिन दहाड़े चौहट्टा लाल खान निवासी दालमंडी के मशहूर शीशा कारोबार रिजवान खान उर्फ़ लल्लू भाई (70वर्ष) को अज्ञात नकाबपोश बाइक सवार बदमाशो ने गोली मार कर उनका थैला छीन लिया। मामले की जानकारी मिलने के तुरंत बाद पुलिस अधीक्षक (नगर) दिनेश सिंह, क्षेत्राधिकारी बृजनंदन राय सदल बल मौके पर पहुच कर जाँच में जुट गये।
घटना स्थल का वाराणसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने दौरा किया और पीड़ित परिवार से सदस्य और अन्य लोगो से पूछताछ किया। घायल व्यवसाई के भाई ने पुलिस को बताया कि थैले में कुछ कपडे और टिफिन बाक्स था। घटना में किसी तरह की नगदी होने की बात से घायल व्यवसाई के भाई ने इनकार किया। घटना स्थल के और आसपास के सभी सीसीटीवी कैमरों के फुटेज की पुलिस ने छानबीन किया। सभी जगहों से फुटेज को पुलिस सुरक्षित कर घटना की कडिया जोड़ रही है। वही क्षेत्र में दिनदहाड़े हुई इस दुस्साहसिक घटना की चर्चा जोरो पर रही।
क्राकरी के बड़े कारोबारी है रिजवान खान उर्फ़ लल्लू भाई
व्यवसाय के अनुसार अगर देखा जाये तो लल्लू भाई नाम से क्षेत्र में और व्यवसाय में मशहूर रिजवान खान क्राकरी के बड़े कारोबारियों में शुमार होते है। चर्चाओ के अनुसार क्राकरी व्यवसाय में उनका नाम देश के बड़े कारोबारियों में आता है। क्षेत्र में और व्यावसायिक स्थल पर सभी से मृदुभाषी रहने वाले कारोबारी के साथ हुई इस घटना को लेकर क्षेत्र में आक्रोश का भी माहोल बना हुआ है। यही नही क्षेत्र में इस प्रकार की पहली घटना वह भी दिनदहाड़े लबे सड़क होने से लोगो में डर का भी माहोल दिखाई दिया।
पहले भी हो चुकी है व्यवसाई के साथ घटना
आज की हुई घटना व्यवसाई के साथ पहली घटना नही है। इसके पहले भी व्यवसाई के साथ इस प्रकार की घटना अंजाम दी जा चुकी है। क्षेत्र में व्याप्त चर्चाओ के अनुसार सबसे पहले वर्ष 2015 में ऐसी ही एक घटना हुई थी। इस घटना में भी व्यवसाई के हाथ से थैला छीन लिया गया था और उस थैले में भी खाली टिफिन था। उस छिनैती के दौरान व्यवसाई के साथ मारपीट और धक्कामुक्की के वजह से उनको काफी चोटे भी आई थी। मगर मामला दब गया था और मामले में आगे किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं हुई थी।
वर्ष 2015 में हुई घटना के बाद से वेस्पा स्कूटर से चलने वाले रिजवान खान उर्फ़ लल्लू भाई रिक्शे से आने जाने लगे थे। वह रिक्शे से ही दूकान जाते और फिर रिक्शे से ही दूकान से वापस आते थे। बाई पास सर्जरी के बाद से उन्होंने अपना रूटीन भी काफी बदल दिया था। असर की नमाज़ (शाम की नमाज़) वह दूकान से पढ़ कर निकलते थे और घर आकर मगरिब की नमाज़ मोहल्ले की मस्जिद में अदा करते थे। कारोबार में कई उतार चढ़ाव देखने वाले हाजी रिजवान खान का शीशे का कारोबार पुश्तैनी कारोबार है। पारिवारिक सूत्रों की माने तो दो-तीन साल पहले ही उनके दूकान और गोदाम में भीषण आगजनी हुई थी जिसमे काफी नुक्सान का सामना करना पड़ा था। मगर अपने हिम्मत और मेहनत से हाजी रिजवान ने कारोबार अपना दुबारा जल्द ही खड़ा कर लिया।
आखिर ज़िम्मेदार कौन ?
घटना के बाद लोगो का हुजूम जमा था। अगर सीसीटीवी फुटेज के अनुसार समय का धयान दिया जाये तो घटना शाम 6:30 पर हुई है। भीड़ का आलम ये था कि जब वाराणसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक घटना स्थल पर जायजा लेने पहुचे है तो उस समय घडी दस बजा रही थी। यानी लगभग साढे तीन घंटे तक भीड़ मौके पर रही। अमूमन ऐसी घटना के लिए लोग आसानी से उंगली पुलिस प्रशासन के ऊपर उठा देते है। वैसे उंगली है उठाया जा सकता है। मगर सवाल कई और भी उठ सकते है जिसका जवाब शायद समाज को स्वयं तलाशना होगा।
प्रत्यक्षदर्शियो के अनुसार घटना के बाद लगभग 15-20 मिनट तक हाजी रिजवान घटना स्थल पर थे। उनके हाथो से गोली लगने के कारण काफी खून बह रहा था। ऐसा नही है कि घटना स्थल के आस पास लोग नहीं थे। काफी लोगो का हुजूम रहता है घटना स्थल के आस पास। चौड़ी सड़क होने के कारण शाम के समय बच्चे यहाँ सायकल चलाते है। पास के ही दुकानों पर असर की नमाज़ के बाद मगरिब की नमाज़ के बीच के वक्त को लोग दुकानों पर ही गुजारते है। इतने चहल पहल के बाद भी आराम से दो युवक आते है घटना को अंजाम देते है और चले जाते है। अगर जितने प्रत्यक्षदर्शी आज घटना का विवरण डे रहे है वह सड़क पर घटना के समय विरोध करते तो शायद अपराधी भाग नही पाते।
सीसीटीवी फुटेज को देखने से मालूम चला कि दोनों बदमाश पहले नचनी कुआ के मोड़ पर आईपीडीएस के बाक्स के पीछे खड़े होकर रिक्शे के आने का इंतज़ार करते है। कई लोग इस दौरान उधर से गुज़रे मगर किसी ने ऐसे संदिग्ध व्यक्तियो को देख कर रुकना मुनासिब नही समझा। घटना के समय जब बाइक सवार दोनों बदमाशो ने रिक्शे से आकार अपनी बाइक टकरा कर रिक्शा रोका और छीनाझपटी करने लगे तो मौके पर चार छः लोग और भी थे जो घटना के मूकदर्शक बने देख रहे थे। तभी एक नीले रंग की स्कूटर सवार नवजवान भी आया। वह रुकता भी है। देखता है। मगर जैसे ही गोली चलती है उसकी हिम्मत भी चल देती है और तेज़ रफ़्तार से वह स्कूटर वाला नवजवान अपनी गाडी भगा लेता है। वह कुछ नही करता और अपनी स्कूटर को वही सड़क पर गिरा देता तो बदमाश ऐसी आसानी से भाग नही सकते थे।
भीड़ है न साहब, बिजली न आने पर सब कारोबार छोड़ कर बीच चौराहे पर जिंदाबाद मुर्दाबाद करते खडी बरसात में भीगते रहते है। मगर एक बुज़ुर्ग के साथ हो रही घटना का हम विरोध नही कर सकते थे। शायद वह स्कूटर वाले नवजवान ने ये सोचा होता कि जिस बुज़ुर्ग के साथ ये घटना हो रही है वह बुज़ुर्ग उनके घर का सदस्य भी हो सकता है तो क्या वह इस तरह भाग जाता ? नहीं तब तो वह घटना के बाद उसी जगह खडा होकर अन्य लोगो को ललकार रहा होता कि घटना के समय कोई बोला नही, मगर क्या बताऊ साहब, हम उस तरीके के समाज में जीना शुरू कर चुके है जैसे मुर्गे का मीट बेचने वाले दुकानदार के दूकान का मुर्गो का पिजड़ा होता है। चिल्लाता तो केवल वही है जिसका नंबर आता है। वही हुआ इस घटना के समय भी। खड़े मूकदर्शक बने सब देखते रहे। मगर किसी के एक आवाज़ नही निकली।
खैर साहब, क्या फायदा इन सब बातो का, घटना तो घटित हो चुकी है। चौराहे की चाय पान की दुकानों पर बाते कर सकते है कि शहर में अपराधियों का हौसला बुलंद है। आपको अधिकार है साहब बिलकुल कह सकते है ये बाते। आखिर लोकतंत्र है, अभिव्यक्ति की आज़ादी तो है ही। मगर दिल पर हाथ रख कर सोचे वो हो घटना के समय मौके पर थे, वह भी सोचे जो चंद कदमो की दुरी पर सिगरेट का धुँआ उड़ाते हुवे अथवा पान की गिलौली चबाते हुवे बदमाशो को भागता देख रहे थे। क्या जितनी शिद्दत के साथ आप आज घटना की आलोचना कर रहे है उसी शिद्दत के आखरी हिस्से के साथ अगर आप चाहते तो क्या उन बदमाशो को पकड़ नही सकते थे ? आखिर समाज कहा जा रहा है इसके बारे में हमको ही सोचना होगा। पुलिस अपनी कार्यवाही में लगी हुई है। घटना स्थल पर वाराणसी क्राइम ब्रांच ने भी घटना का जायजा लिया। क्राइम ब्रांच और आदमपुर पुलिस ने मिलकर घटना की जाँच शुरू कर दिया है और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का कहना है कि जल्द ही घटना का खुलासा हो जायेगा।
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