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ईरान में संवर्धित यूरेनियम 300 किलोग्राम से पार, जाने क्या रही अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया ?

करिश्मा अग्रवाल

परमाणु समझौते से अमरीका के निकलने के एक साल बाद और पश्चिमी की ओर से अपने वचनों के पालन न करने के बाद जब ईरान ने युरेनियम के संवर्धन को बढ़ाने का फैसला किया तो इस पर पश्चिमी देशों ने अलग अलग प्रतिक्रिया प्रकट की है।

वाइट हाउस ने संवर्धित यूरेनियम की मात्रा बढ़ाने सहित ईरान के फैसलों पर एक बयान जारी करके मांग की है कि ईरान, परमाणु समझौते की प्रतिबद्धता करे।  वाइट हाउस के बयान में जेसीपीओए से अमरीका के एकपक्षीय रूप से निकलने का उल्लेख किये बिना दावा किया गया है कि ईरान के हालिया क़दम, जेसीपीओए का उल्लंघन हैं।  युरोपीय संघ में विदेशी मामलों की प्रभारी फेड्रीका मोगरेनी की प्रवक्ता माया कोत्सांचीच ने कहा है कि युरोपीय संघ ईरान से अपील करता है कि वह पहले की पोज़ीशन में वापस चला जाए।

उन्होंने कहा कि ईरान जब तक परमाणु समझौते से प्रतिबद्ध रहेगा युरोप भी इस समझौते की प्रतिबद्धता करता रहेगा।  संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव के प्रवक्ता ने भी यूरेनियम के भंडार में वृद्धि के ईरान के फैसले पर कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने कूटनीति की एक उपलब्धि के रूप में जेसीपीओए की सुरक्षा पर हमेशा बल दिया है और सभी पक्षों से मांग की है कि वह इस समझौते की प्रतिबद्धता करें किंतु अमरीकी की मनमानी और एक पक्षीय रूप से इस समझौते से निकलने की वजह से व्यवहारिक रूप से यह अतंरराष्ट्रीय समझौता अनुपयोगी हो गया है।

इसी मध्य परमाणु ऊर्जा एजेन्सी में रूस के प्रतिनिधि मिखाइल औलियानोफ ने बल दिया है कि ईरान द्वारा संवर्धित यूरेनियम के भंडार में वृद्धि ईरान की संवर्धित यूरेनियम के निर्यात पर अमरीकी प्रतिबंधों  का परिणाम है।

रूस के उप विदेश सचिव सरगई रुबानकोव ने भी कहा है कि ईरान द्वारा 300 किलो संवर्धित यूरेनियम की सीमा पार करने का प्रावधान, जेसीपीओए में है और इस पर हैरत नहीं होना चाहिए।

विदेशमंत्री मुहम्मद जवाद ज़रीफ ने सोमवार की शाम अपने एक बयान में युरोप द्वारा जेसीपीओए के उल्लंघन का उल्लेख करते हुए कहा है कि ईरान, जेसीपीओए के अनुच्छेद क्रमांक 36 के आधार पर  300 किलो संवर्धित यूरेनियम की सीमा पार कर चुका है लेकिन इसका मतलब, जेसीपीओए का उल्लंघन नहीं है।

जेसीपीओए से अमरीका को निकले 14 महीनों का समय बीत चुका है  और इस दौरान संयुक्त राष्ट्र संघ ने अमरीका को इस अंतरराष्ट्रीय समझौते से प्रतिबद्ध रहने के लिए कोई छोटा सा क़दम भी नहीं उठाया और इस संदर्भ में महासचिव ने केवल बयान ही दिये हैं।

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