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समुदाय में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने में आशा कार्यकर्ताएं है प्रतिबद्ध

संजय ठाकुर

मऊ – जिलाधिकारी ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत आशा सम्मेलनका आयोजन मंगलवार को नगर पालिका कम्यूनिटी हाल बकवल में किया गया।

जिलाधिकारी ने बताया जनपद में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के लिए तैनात 1,230 आशाओं का यह दिवस प्रतिवर्ष हमें समुदाय में स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने में उनकी प्रतिबद्धता की याद दिलाती है। आशा के लगातार प्रयासों से दो वर्षो में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रमों में बहुत अधिक सुधार आया है। नियमित टीकाकरण एवं मिशन इन्द्रधनुष में आशा के प्रयासों के फलस्वरूप बच्चों का पूर्ण टीकाकरण 81 प्रतिशत से बढ़कर 87 प्रतिशत हो गया है।

उन्होने बताया इसी प्रकार प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के अन्तर्गत निर्धारित लक्ष्य के सापेक्ष लाभार्थियों का पंजीकरण 87 प्रतिशत हो गया है। संचारी रोगों एवं दिमागी बुखार पर नियंत्रण हेतु चिकित्सा सुविधाओं का सुदृकरण, जन जागरूकता की व्यापक गतिविधियों तथा अन्तर्विभागीय सहयोग के फलस्वरूप वर्ष 2017 की तुलना में वर्ष 2018 में दिमागी बुखार के रोगियों की संख्या में 35 प्रतिशत तथा दिमागी बुखार से कुल मृत्यु में 63 प्रतिशत की कमी आयी है। आयुष्मान भारत के अन्तर्गत प्रदेश में अब तक 2000 से अधिक आरोग्य केन्द्र स्थापित किये जा चुके है। इन केन्द्रों द्वारा आशाओं के सहयोग से जन समुदाय को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवायें विशेषकर गैर संचारी रोगों सम्बन्धी सेवाएं प्रदान की जा रही हैं।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सतीश सिंह ने बताया प्रतिवर्ष 23 अगस्त को सम्पूर्ण प्रदेश में ‘आशा दिवस’ सम्मेलन के रूप में मनाया जाता है। लेकिन जन्माष्टमी के कारण यह आज मनाया गया। आशा दिवस का मुख्य उद्देश्य समुदाय में आशा की भूमिका को और अधिक सुदृढ़ करना है। प्रदेश में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं से दुरस्थ क्षेत्रों तक पहुंचाने में उनकी भूमिका के बारे में एहसास दिलाना है।

उन्होने आशाओं के महत्व के बारे में चर्चा की और बताया देशभर में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं को ग्रामीण अंचल तक पहुंचाने में आशा एक ऐसी महत्वपूर्ण कड़ी है जो स्वास्थ्य सेवाओं और ग्रामवासियों के बीच तालमेल बैठाते हुए अपने गांव की गरीब महिलाओं और बच्चों को अच्छी स्वास्थ्य सेवायें दिलाती हैं। आशा सामुदायिक बैठकों और आपसी बातचीत से अपने समुदाय में स्वास्थ्य से जुड़ी भ्रान्तियों को दूर कर जागरूकता लाने का कार्य करती हैं।

इस अवसर पर जिला कार्यक्रम प्रबन्धक रवीन्द्र नाथ ने बताया जिले में मातृ मृत्यु में सुधार आ रहा है पिछले वर्ष 99 मातृ मृत्यु हुईं जबकि इस वर्ष अभी तक 16 मातृ मृत्यु ही हुई हैं।

इस अवसर पर अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ एम लाल, जिला क्षय रोग अधिकारी  डॉ एसपी अग्रवाल, स्टेट कोआडिनेटर, डीएमसी यूनिसेफ सरोज राना, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी सुनीता सिंह, डीपीएम रविन्द्र नाथ, डीसीपीएम सन्तोष सिंह, डॉ आरके झा, डॉ सच्चिदा नन्द आर्य, डॉ अशोक कुमार, पीआरओ मनीष सिंह सहित शैलजा कान्त पाण्डेय आदि उपस्थित रहे।

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