अरविन्द यादव
बिल्थरा रोड (बलिया) : वो गरीब था, रिक्शा चला कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करता था। शायद उसकी गरीबी ही उसके गम की वजह बन गई। गरीबी न होती तो सरकारी डाक्टर द्वारा मांगी जा रही 5 हज़ार की घुस वह दे देता और फिर उसका बच्चा समय से इलाज मिलने के वजह से बच जाता। मगर उफ़ ये गरीबी और उसके ऊपर किस्मत। उसके पास तो सिर्फ 600 रुपया ही था, वह भी सब जोड़ बटोर के डाक्टर के कदमो में अर्पण करने को तैयार था, मगर डाक्टर थी कि सुनने को तैयार ही नहीं थी, उनको तो पुरे 5 हज़ार चाहिए थे। तब वह नवजात बच्चे का इलाज करती। फिर क्या होना था, इलाज के अभाव में निर्दई गरीबी ने उसके लाल की जान ले लिया। कुछ घंटे भी तो वह मासूम इस दुनिया का नहीं देख पाया।
ऐसा हम नही बल्कि गरीब और पीड़ित परिवार के दिल की आह है। यही नहीं आशा कार्यकर्ती ने स्वयं कैमरे पर बयान दिया है, मामला बलिया जनपद के सीयर समुदायिक स्वस्थ्य केन्द्र का है, जहा नवजात की मौत बिना इलाज केवल इस वजह से हो गई क्योकि नवजात का बाप गरीब था और वह घुस का 5 हज़ार रुपया नर्स को अर्पण नही कर सकता था।
पीड़ित परिजनों ने नर्स अनीता श्रीवास्तव के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने के लिए इसकी लिखित शिकायत पुलिस को दिया गया है। मामले में पुलिस प्रशासन जहा कार्यवाही जाँच के बाद करने की बात कर रहा है वही सीएमओ साहब ने अनीता श्रीवास्तव के विरुद्ध कार्रवाई करने का आश्वासन तो दे दिया है। क्षेत्र में आम जनता नर्स के इस रवैये के खिलाफ आक्रोशित है। वही समाचार लिखे जाने तक पुलिस ने मुकदमा दर्ज नही किया था। देखना होगा कि गरीब जिसने अपना कलेजे का टुकड़ा खोया है वह इस इन्साफ की जंग को जीत पायेगा या फिर अमीरों की पहुच के दबाव में इन्साफ दब जायेगा और गरीब की आवाज़ कमज़ोर पड़ जायेगी। वही चर्चाओं के अनुसार अनीता श्रीवास्तव के तरफ से कुछ स्थानीय तथाकथित ऊँची पहुच वाले पैरवी भी करने में जुट गए है। वो जुटेगे भी क्योकि इन्साफ की जंग एक गरीब के लिए बड़ी जंग होती है।
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