बापूनंदन मिश्र
मऊ आज सुबह कुछ लोग ताल रतोय के किनारे खड़े होकर बड़े ध्यान से ताल की तरफ देख रहे थे। पता किया तो पता चला कि हंसों का जोड़ा देखकर प्रातः काल की प्राकृतिक छटा का आनंद ले रहे हैं। वैसे भी यह अत्यंत दुर्लभ दृश्य था। क्योंकि यह दृश्य समुद्री इलाकों में अथवा जंगल में, चिड़िया घरों में ही देखने को प्राप्त हो सकता है।
ऐसी मान्यता है कि हंस अपना साथी बहुत ही सूझ बूझ के साथ चुनता है और जीवन पर्यंत निर्वहन करने का प्रयास रखता है। ये जब भी दिखते हैं जोड़े में ही दिखाई देते हैं। अपने साथी के दिवंगत हो जाने के बाद दूसरा भी सिर पटकर अपना प्राण दे देता है, अथवा किसी तरह कष्टमय जीवन काटता है।
हर साल की भांति इस साल भी बिहार के लिए यह पक्षी आए हुए हैं और लोग इस मनोहर छटा को देखकर आनंदित हो रहे है, और आपस में हंस के गुणों का वर्णन भी कर रहे हैं।
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