तारिक आज़मी
विवादित ढांचे की ज़मीन हिन्दुओ को दिया जायेगा। मस्जिद के लिए 5 एकड़ ज़मीन सर्कार कही और देगी। इस हेतु मस्जिद के लिए किसी अन्य जगह स्थान देने की बात अदालत ने दिया है। अदालत ने कहा है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड मालिकाना हक़ साबित नही कर पाया है। विवादित ढांचे की ज़मीन पूरी मंदिर पक्ष को मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट कैम्पस के अन्दर नेट की सर्विसेस बंद हो गई है। सीजेआई ने कहा कि हाई कोर्ट ने जॉइंट पजेशन के आदेश दिए थे। इस दौरान सीजेआई ने कहा है कि संविधान कभी धर्म में भेद भाव नहीं करता है। मुसलमानों को दूसरी जगह मस्जिद बनने की जगह मिलेगी। इस वक्तव्य को अभी स्पष्ट होना बाकी है। अदालत ने कहा है कि मुस्लिम पक्ष यह नही सिद्ध कर पाया कि ज़मीन का मालिकाना हक़ उसका है. सीजेआई ने कहा – 1856-57 से पहले आंतरिक अहाते में हिन्दुओं पर कोई रोक नहीं थी। 1856-57 के संघर्ष ने शांतिपूर्ण पूजा की अनुमति देने के लिए एक रेलिंग की स्थापना की।
सीजेआई ने कहा – सुन्नी वक्फ बोर्ड ने जमीन पर मालिकाना हक मांगा है। सुन्नी वक्फ बोर्ड के लिए शांतिपूर्वक कब्जा दिखाना असंभव है। सुन्नी बोर्ड का कहना है कि बाबरी मस्जिद के निर्माण से ढहाए जाने तक नमाज़ पढ़ी जाती थी। बाहरी प्रांगण में हिन्दुओं द्वारा पूजा का एक सुसंगत पैटर्न था। दोनों धर्मों द्वारा शांतिपूर्ण पूजा सुनिश्चित करने के लिए एक रेलिंग की स्थापना की गई।
चीफ जस्टिस ने कहा – सूट 5 इतिहास के आधार पर है, जिसमें यात्रा का विवरण है। ‘सीता रसोई’ और ‘सिंह द्वार’ का जिक्र किया गया है। सीजेआई ने कहा – सबूत पेश किए गए कि हिन्दू बाहरी अहाते में पूजा किया करते थे।
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