ईदुल अमीन
वाराणसी: एक तरफ जहा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के द्वारा शहर में पुलिसिंग को चुस्त दुरुस्त रखने और आम जनता से शालीनता के साथ व्यवहार करने की आशा अपने अधिनस्तो से किया जा रहा है। खुद देर रात तक पैदल गश्त करके शहर में यहाँ की फिजाओं और समस्याओं को समझा जा रहा है, साथ ही ज़िले के आला अधिकारी काशी की कौमी एकता की परम्परा को मजबूत बनाने के लिए जी जान लगाए हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे सरकारी मुलाजिम भी हैं जो अपने व्यवहार से शासन-प्रशासन की फजीहत कराने पर तुले हैं।
प्रकरण के सम्बन्ध में प्राप्त जानकारी के अनुसार जैतपुरा थानाक्षेत्र के सरैया इलाके में जुमे की नमाज़ के बाद नमाज़ी युवक एनआरसी और CAB का शातिपूर्वक विरोध करने के लिए मस्जिद के पास के नुक्कड़ पर ज्ञापन देने हुवे सड़क पर इकठ्ठा थे। तभी मौके पर पहुचे सरैया चौकी इंचार्ज मो अकरम ने थाना प्रभारी को मामले के बारे में सूचित किया गया कि यहाँ काफी संख्या में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। सुचना पर जैतपुरा थाना प्रभारी शशि भूषण राय मौके पर आते है और युवको को जमकर लताड़ लगाते है। वायरल वीडियो में थाना प्रभारी द्वारा चीर दूंगा फाड़ दूंगा जैसे शब्दों का प्रयोग भी साफ़ वायरल वीडियो में सुनाई दे रहा है। एक ज़िम्मेदार थाना प्रभारी द्वारा इस प्रकार के शब्दों के प्रयोग का वीडियो आम नागरिको में से किसी ने बना लिया और यह सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।
वायरल वीडियो में जैतपुरा थाना प्रभारी शशि भूषण राय द्वारा युवको के गाली नही देने के आग्रह पर ”ज़्यादा मत बोलो वरना यहीं चीर के रख दूंगा, मुझे नहीं जानते हो तुम अभी, सड़क पर कैसे आये तुम्हारे बाप की सड़क है क्या।” जैसे शब्दों का प्रयोग सुना जा सकता है। वीडियो वायरल होने के बाद अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र में इस्पेक्टर जैतपुरा के इस व्यवहार को लेकर रोष दिखाई पड़ा। इस दौरान घटना सारा दिन शहर के अल्पसंख्यक क्षेत्रो में चर्चा का विषय बनी हुई थी। बिना अनुमति प्रोटेस्ट निकाल रहे युवको को समझा बुझा कर मामले को मौके पर ख़त्म किया जा सकता था। परन्तु पुलिस द्वारा ऐसे व्यवहार से जनता में पुलिस के प्रति और भी रोष पैदा हो गया।
वही क्षेत्र के संभ्रांत नागरिको का कहना है कि सरैया चौकी इंचार्ज मो अकरम स्वयं ही मामले को रफा दफा कर सकते थे। मगर मामले को कही न कही तुल मिल गया। अगर चौकी प्रभारी द्वारा युवको को शांति पूर्वक समझा बुझा कर प्रोटेस्ट मार्च न निकालने की बात कही गई होती तो शायद बात इतनी आगे नही बढती। परन्तु उनके द्वारा सूझ बुझ का परिचय देने के बजाय इस प्रकरण को तुल दे दिया गया।
गौरतलब है कि सोशल मीडिया के जमाने में जब कोई भी कंटेंट तेजी से वायरल हो सकती है, ऐसे में इंस्पेक्टर का ये वीडियो कहां कहां वायरल हो चुका होगा किसी को अंदाज भी नहीं होगा। सीएबी और एनआरसी के मुद्दे पर देश में फैल रहे भ्रम को समाप्त करने का दायित्व जब शासन-प्रशासन के नुमाइंदों पर हो, तब एक इंस्पेक्टर का युवकों को बजाए शालीनता से समझाने बुझाने के उन्हें चीर देने की धमकी देने वाला वीडियो क्या संदेश फैलाएगा, ये कोई भी सहजता से समझ सकता है।
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