आफताब फारुकी/ तारिक खान
नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 140 से ज्यादा दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुवे फिलहाल रोक से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ पांच जजों की संविधान पीठ ही अंतरिम राहत दे सकती है। केंद्र सरकार को नई याचिकाओं पर चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर हाईकोर्ट में सुनवाई पर रोक लगा दी है। असम और त्रिपुरा के मामलों को सुप्रीम कोर्ट ने अलग किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अतंरिम राहत के लिए तीन जजों की बेंच आदेश नहीं दे सकती। सीजेआई ने कहा कि सिर्फ पांच जजों की संविधान पीठ ही अंतरिम राहत दे सकती है। सीजेआई बोले, इस मामले में छोटे-छोटे मुद्दों पर वकीलों से चेंबर में भी सुनवाई हो सकती है। इस पर केंद्र सरकार को राहत मिली। सीएए कानून पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार किया। कपिल सिब्बल बोले, इसलिए हम कह रहे हैं कि फिलहाल प्रक्रिया को टाला जाए। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई से रोक लगाई है।
सुनवाई शुरू होने से पहले कोर्ट नंबर एक पूरी तरह से खचाखच था, जिसकी वजह से कोर्ट के तीनों दरवाज़े खोलने पड़े है। मुख्य न्यायधीश जस्टिस एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ मामले की सुनवाई में भीड़ के चलते परेशानी हुई। जिस पर अटार्नी जनरल ने कहा कि वकील अंदर नहीं आ पा रहे हैं। शांतिपूर्वक माहौल होना चाहिए। कुछ किया जाना चाहिए। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि ये देश की सबसे बडी अदालत है। इस पर सीजेआई ने सुरक्षाकर्मियों को बुलाया। सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा, हमे बार एसोसिएशन के साथ बात करनी चाहिए।
अटॉर्नी जनरल ने कहा, आज 144 याचिकाएं लगी हैं। फिर सीजेआई बोले, सभी को कोर्ट में आने की क्या जरूरत, लेकिन सभी पक्षों के साथ बैठक करेंगे। लोग अपना सुझाव दे सकते हैं। अटॉर्नी जनरल ने कहा, कुल मिलाकर 140 से ज्यादा याचिकाएं हैं। हमें हलफनामा भी दाखिल करना है। अटॉर्नी जनरल ने कहा, अभी प्रारंभिक हलफनामा दे रहे हैं। केंद्र को 60 याचिकाएं मिली हैं।
कपिल सिब्बल ने अपनी बहस में कहा कि पहले ये तय हो कि इसे संविधान पीठ भेजा जाना है या नहीं। हम रोक नहीं मांग रहे लेकिन इस प्रक्रिया को तीन हफ्ते के लिए टाला जा सकता है। मनु सिंघवी ने कहा, नागरिकता देने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यूपी में 30 हजार लोग चुने गए हैं। फिर कपिल सिब्बल बोले, इसी मुद्दे पर जल्द फरवरी में कोई तारीख सुनवाई के लिए तय हो। सीजेआई ने कहा, फिलहाल हम सरकार को प्रोविजनल नागरिकता देने के लिए कह सकते हैं। हम एकपक्षीय तौर पर रोक नहीं लगा सकते।
अटार्नी जनरल ने कहा, अगर ये लोग इस तरह रोक चाहते हैं तो अलग से याचिका दाखिल करें। याचिकाकर्ता ने कहा, बंगाल और असम विशिष्ट राज्य हैं। सुनवाई आज ही शुरू हो। असम में बांग्लादेशियों का मुद्दा है। इनमें आधे बांग्लादेश से आने वाले हिंदु हैं और आधे मुस्लिम। असम में 40 लाख बांग्लादेशी हैं। इस कानून के तहत आधे ही लोगों को नागरिकता मिलेगी। ये पूरी डेमोग्राफी को बदल देगा। इसलिए सरकार को फिलहाल कदम उठाने से रोका जाना चाहिए।
इस पर सीजेआई ने कहा, हमें सबरीमाला मामले की सुनवाई भी पूरी करनी है। ये अहम है कि क्या हमें 99 फीसदी याचिकाकर्ताओं को सुनना चाहिए और इसके बाद आदेश जारी करना चाहिए। अगर केंद्र व कुछ की बात सुनकर हम आदेश जारी करते हैं तो बाकी याचिकाकर्ता कहेंगे कि हमारी बात नहीं सुनी गई।
मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल ने कहा, मामले को संविधान पीठ को भेजा जाना चाहिए। कपिल सिब्बल ने कहा, तब तक दो महीने के लिए प्रक्रिया को पोस्टपोन कर दिया जाए। इस पर अटार्नी जनरल ने विरोध किया और कहा ये स्टे होगा। सीजेआई ने कहा, ये केस संविधान पीठ को जा सकता है। हम रोक के मुद्दे पर बाद में सुनवाई करेंगे।
तुषार मेहता ने सुझाव दिया कि आगे और याचिका दाखिल करने पर रोक लगाई जानी चाहिए। एक अन्य वकील ने कहा कि अगर एक बार NPR में किसी को संदेहजनक बताया गया तो उसका नाम वोटर लिस्ट से कट जाएगा। अल्पसंख्यों की ये बडी चिंता है। कपिल सिब्बल ने कहा कि ये बड़ी चिंता वाली बात है। सुप्रीम कोर्ट ने असम से संबंधित याचिकाओं पर जवाब देने के लिए दो हफ्ते का वक्त दिया। राजीव धवन ने कहा, कानून ने असम को अलग कर दिया है। इस पर सीजेआई ने कहा ये अच्छा प्वाइंट है। मनु सिंघवी बोले, यूपी में 19 जिलों में 40 लाख लोगों को संदेहजनक बताकर वैरिफाई करने की प्रक्रिया चल रही है। क्या ये लोगों में डर पैदा करने के लिए काफी नहीं है, जो प्रक्रिया 70 सालों में नहीं हुई तो क्या उसे मार्च तक टाला नहीं जा सकता।
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