Categories: InternationalNational

लंदन की विश्व विख्यात पत्रिका ‘द इकोनॉमिस्ट’ ने भारत को बताया ‘असहिष्णु’, लिखा- डरे हुए हैं 20 करोड़ मुसलमान

आफताब फारुकी

नई दिल्ली: लन्दन से प्रकाशित होने वाली बहुचर्चित और एक सम्मानित पत्रिका है ‘द इकोनॉमिस्ट’। इस पत्रिका ने इस बार की कवर स्टोरी से खुद को चर्चा का केंद्र बना लिया है। पत्रिका की कवर स्टोरी ‘इंटोलरेंट इंडिया, हाउ मोदी इज़ एंडेंजरिंग द वर्ल्ड्स बिगेस्ट डेमोक्रेसी’ (असहिष्णु भारत, मोदी कैसे विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को ख़तरे में डाल रहे हैं) है ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया है।

मैगजीन ने नागरिकता कानून और NRC को लेकर भारत में हो रहे विरोध प्रदर्शनों पर मोदी सरकार पर हमला बोला है। कवर पेज पर कंटीली तारों के बीच भाजपा का चुनाव चिन्ह ‘कमल का फूल’ नजर आ रहा है। इसके अलावा ‘द इकोनॉमिस्ट’ ने गुरुवार को कवर पेज ट्वीट करते हुए लिखा है कि ‘कैसे भारत के प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को खतरे में डाल रहे हैं।’ आर्टिकल के टाइटल में पीएम नरेंद्र मोदी पर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में विभाजन का आरोप लगाया है।

उसमें लिखा है कि भारत के 20 करोड़ मुसलमान डरे हुए हैं क्योंकि प्रधानमंत्री हिंदू राष्ट्र के निर्माण में जुटे हैं। इसमें कहा गया है कि नागरिकता संशोधन क़ानून एनडीए सरकार का एक महत्वाकांक्षी क़दम है। लेख में कहा गया है कि सरकार की नीतियां नरेंद्र मोदी को चुनाव जीतने में मदद कर सकती हैं लेकिन वही नीतियां देश के लिए ‘राजनीतिक ज़हर’ हो सकती हैं।

साथ ही यह भी कहा गया है कि संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों को कमतर करने की प्रधानमंत्री मोदी की नई कोशिशें भारत के लोकतंत्र को नुक़सान पहुंचाएंगी जो दशकों तक चल सकता है। ‘द इकोनॉमिस्ट’ के लेख में कहा गया है कि धर्म और राष्ट्रीयता के आधार पर विभाजन पैदा करके बीजेपी ने अपने वोट बैंक को मज़बूत किया है और गिरती अर्थव्यवस्था से ध्यान हटाया है। इसके साथ ही पत्रिका में लिखा गया है कि एनआरसी से बीजेपी को अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने में मदद होगी। इस स्टोरी के प्रकाशन से नाराज़ कई भाजपा नेताओं ने ट्वीट कर मैगजीन के कवर पेज की निंदा किया है।

गौरतलब हो कि ‘द इकोनॉमिस्ट’ ग्रुप की इकोनॉमिक इंटेलिजेंस यूनिट ने ही इसी हफ्ते ‘ग्लोबल डेमोक्रेसी इंडेक्स’ की लिस्ट जारी की थी। इस लिस्ट में भारत 10 स्थान गिरकर 51वीं पोजिशन पर आ गया है। सूची के मुताबिक, 2018 में भारत के अंक 7।23 थे, जो 2019 में घटकर 6।90 रह गए हैं।

वही अगर गुज़रे वक्त पर नज़र डाले तो पत्रिका के मई 2015 के इस अंक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा भी की गई थी। साल 2015 में इसी पत्रिका ने ‘इंडियाज़ वन-मेन बैंड’ शीर्षक से कवर स्टोरी की थी। इसमें कहा गया था कि मोदी के दृढ़ विश्वास पर शक नहीं किया जा सकता क्योंकि भारत में बहुत सी क्षमताएं हैं। यह देश दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश बनने की ओर है साथ ही यह विश्व की तीन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन सकता है।

भारत की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ इस लेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी प्रशंसा की गई थी। साथ ही उम्मीद जताई गई थी कि वो मार्केट में बदलाव लाएंगे। साथ ही इसमें सलाह दी गई थी कि मोदी को विश्व के मज़दूर क़ानूनों को आसान करने के लिए राष्ट्रीय अभियान चलाना चाहिए।

pnn24.in

Recent Posts

अजमेर दरगाह मामले पर बोले ओवैसी ‘आखिर भाजपा और आरएसएस वाले मस्जिद दरगाहो को लेकर क्यों इतनी नफरत पैदा कर रहे है’

ईदुल अमीन डेस्क: अजमेर शरीफ़ दरगाह के अंदर शिव मंदिर होने के दावे को लेकर…

8 hours ago

बुलंदशहर में शहद चोरी करने के आरोप में 9 साल चला मुकदमा और दोष सिद्धि पर हुई 4 साल, 7 महीने और 11 दिन की सजा

शफी उस्मानी डेस्क: बुलंदशहर की एक अदालत ने एक निजी मधुमक्खी पालन केंद्र में चोरी…

9 hours ago

अजमेर दरगाह मसले पर बोले सपा नेता रामगोपाल यादव ‘इस तरह के छोटे छोटे जज इस देश में आग लगवाना चाहते है’

मो0 कुमेल डेस्क: अजमेर दरगाह के शिव मंदिर होने के दावे के साथ दाखिल याचिका…

9 hours ago