तारिक खान
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शन को लेकर सोमवार को कहा कि किसी कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने का लोगों के पास मूल अधिकार है लेकिन सड़कों को अवरुद्ध किया जाना चिंता का विषय है और विरोध करते हुए एक संतुलन रखना होगा। साथ ही अदालत ने एक मध्यस्थता समिति को प्रदर्शनकारियों से बात करने को कहा है।
लाइव लॉ के अनुसार पीठ ने कहा कि अनिश्चितकाल तक सड़क बंद नहीं की जा सकती और विरोध के लिए कोई अन्य स्थान ढूंढा जा सकता है। जस्टिस कौल ने कहा कि लोगों के पास विरोध करने का हक़ है लेकिन इसमें संतुलन होना चाहिए। जस्टिस कौल ने आगे कहा, ‘लोकतंत्र विचारों की अभिव्यक्ति पर चलता है लेकिन इसके लिए भी सीमाएं हैं। अगर इस मामले की सुनवाई यहां चलने के दौरान आप विरोध करना चाहते हैं, वो भी सही है। लेकिन हमारी चिंता सीमित है। आज कोई एक कानून है, कल समाज के किसी और तबके को किसी और बात से परेशानी हो सकती है। ट्रैफिक का अवरुद्ध होना और असुविधा हमारी चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा कि मेरी यह भी चिंता है कि अगर कल हर कोई सड़क बंद करना शुरू कर दे, भले ही उसकी वाजिब वजह हो, तो यह सब कहां जाकर रुकेगा।’ पीठ ने यह भी कहा कि एक मध्यस्थता समिति को जाकर प्रदर्शनकारियों से बात करनी चाहिए। समिति की अगुवाई वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े करेंगे। पीठ ने उनसे दो और सदस्यों को चुनने को कहा और वकील साधना रामचंद्रन और पूर्व सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला का नाम सुझाया। पीठ ने उनसे को प्रदर्शनकारियों से बात करने और उन्हें ऐसे वैकल्पिक स्थान पर जाने के लिए मनाने को कहा, जहां कोई सार्वजनिक स्थल अवरुद्ध नहीं हो। न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 24 फरवरी तय की।
पीठ ने कहा कि लोगों को प्रदर्शन करने का मूल अधिकार है लेकिन जो चीज हमें परेशान कर रही है, वह सार्वजनिक सड़कों का अवरुद्ध होना है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि शाहीन बाग प्रदर्शन से यह संदेश नहीं जाना चाहिए कि हर संस्था इस मुद्दे पर शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को मनाने की कोशिश कर रही है। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि यदि कुछ नहीं हो पाया, तो हम स्थिति से निपटना अधिकारियों पर छोड़ देंगे।
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