फारुख हुसैन
लखीमपुर खीरी. एक तरफ जहां केंद्र और राज्य की सरकारें लगातार किसानों की आय दोगुना करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है वहीं किसान भी लीग से हटकर कुछ अलग से अपनी जमीन से पैदावार कर न सिर्फ अपनी आय में वृद्धि कर रहे है बल्कि अपना दैनिक गुजारा भी निकाल ले रहे है।
जल्द से जल्द तैयार होने वाला यह बम्बू 150-200 तक आसानी से बिक जाता है।जिससे किसानों को जरूरत के मुताबिक पैसा मिलता जाता है जिससे उन्हें रोजमर्रा की अवश्यक्ताओ के लिए जूझना नही पड़ता है।ये बम्बू सिर्फ किसान के लिए ही आमदनी का जरिया नही है बल्कि इससे कई और लोगों को भी रोजगार मिल रहा है।
बम्बू से शानदार झोपड़ी ,टट्टर ,छप्पर,सीढ़ी, इत्यादि बनाने का काम होता है।मौजूदा समय मे खेत मे जानवरो से बचाव के लिए बम्बू के खम्भे लगाकर बाड लगाने के चलते काफी समय तक न सड़ने वाले बम्बू (बांस) का प्रयोग हो रहा है। किसानों की माने तो अब उन्हें उन्हें परम्परागत खेती के साथ बम्बू की खेती से काफी लाभ हो रहा है।
किसान नेकीराम और आजाद सहित अन्य किसानों ने की माने तो बांस की वजह से हमारे परिवार का अच्छी तरह से भरण पोषण हो पा रहा है हम बच्चों की स्कूल की फीस भी समय से जमा कर पा रहें हैं बांस की पौध जल्दी हो जाती है। यह प्रति बांस सौ रूपये से डेढ़ सौ दो सौ रूपये तक बिकता है। बांस (बम्बू) की पौध एक बार लगाने के बाद पचास वर्षों तक अपने आप विकसित होती रहती है जिससे किसान लंबे समय तक इस खेती से मुनाफा कमा सकते हैं। बांस की पौध से लगभग अस्सी से सौ बांस निकलते हैं। बांस से हम कई तरह की इस्तेमाल की चीजें बनाते हैं जैसे की सीड़ी, जाली, यहां तक की कुर्सी,मेज और यहीं नहीं अब लोग अपने घरों के पड़ोस ही बांस की बनी झोपड़ियां भी बना रहें है जो मजबूत ही नहीं सुंदर भी होते हैं।
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