फारुख हुसैन
पलियाकलां-खीरी। मंडी सचिव द्वारा किसान की पिटाई करने के मामले में बुधवार को पलिया मंडी के सभी आढ़तियों ने अपनी आढ़तें बंद कर के घटना का पुरजोर विरोध किया। जिसके बाद गल्ला आढ़तियों ने भी अपनी आढ़ते बंद कर, गेहूं की खरीद बंद करते हुए उन्हें समर्थन किया और मंडी सचिव के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। मामले को तूल पकड़ता देख एसडीएम ने आढ़तियों को समझाने का प्रयास किया, न मानने पर उन्हें थाने बुलाकर एफआईआर दर्ज करने का आश्वासन दिया। वही मामले की गंभीरता को देखते हुए डीएम व एसपी भी पलिया पहुंच गए।
इस संबंध में जिला अधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह ने बताया की पीड़ित की तहरीर पर एफआईआर दर्ज करा दी गई है, साथ ही दो दिन में पूरे मामले की जांच कराने के एसडीएम को निर्देश दिए गए हैं, जिसमें दोषी पाए जाने पर मंडी सचिव के विरुद्ध भी अवश्य कार्रवाई की जाएगी। उधर सब्जी आढ़तियों का कहना है कि यदि दो दिन में मंडी सचिव के विरुद्ध एफआईआर दर्ज नहीं होती है, तो वह लोग फिर अपनी सब्जी की आढ़ते बंद कर देंगे। इस दौरान बुन्दू मियां, रिफाकत अली, रिजवान अली, अनवर अहमद, गुलाम अहमद, मुन्ने मियां, अजमत अली, एजाज अली, इरशाद अली, उस्मान अली, जाहिद अली, सादिक अली, अताउल्लाह, बलि हुसैन, सब्बन मिया, श्याम कुमार गुप्ता, लईक, इबादत अली, नसीर अहमद, फकीरे लाल गुप्ता बब्लू, नुरुल हसन, राम कुमार गुप्ता, मोहम्मद अनीस उर्फ बब्बू, मोहम्मद अली, मोहम्मद आरिफ, जाहिद पुत्र शाकिर शामिल रहे।
पलिया मंडी सचिव धर्मेंद्र सिंह यादव की दबंगई व तानाशाह रवैया का यह पहला प्रकरण नहीं है। इससे पूर्व में भी कभी लकड़ी का ट्रक रोक लेने, कभी सरकारी गेहूं की ट्रक रोक लेने, तो कभी रातों-रात बुलडोजर चलाकर आढ़तियों की दुकानें तोड़कर उसमें आग लगा देने सहित तमाम ऐसे उदाहरण है जिन घटनाओं को मंडी सचिव कारित कर चुके हैं। हर बार कार्रवाई की मांग उठती है, लेकिन जांच कराने के नाम पर मंडी सचिव को अभय दान दे दिया जाता है। आखिर जिला प्रशासन मंडी सचिव को बचाने में क्यों लगा है यह अपने आप में ही एक बड़ा सवाल उभर कर सामने आ रहा है।
एक तरफ कोरोना जैसी महामारी के लिए चल रहे लाख डाउन में जहां वैसे भी आदमी परेशान है वहीं मंडी सचिव के कारण सब्जी आढ़तियों द्वारा आढ़ते बंद कर देने से बुधवार होने वाली साप्ताहिक बाजार में सब्जी की भारी किल्लत देखी गई। लोग दूर-दूर से आए लेकिन सब्जी न मिलने पर बैरंग उन्हें वापस लौटना पड़ा। आम लोगों को जब इस प्रकरण की जानकारी हुई तो वह भी मंडी सचिव को कोसते नजर आए।
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