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पीएनयु क्लब, आबकारी की रूटीन चेकिंग या फिर छापेमारी, मगर अनसुलझे सवालों के बीच कार्यवाही हुई समाप्त

तारिक आज़मी

वाराणसी। अमीरों के शौक में एक शौक क्लब भी होता है। कहा गया है कि शौक बड़ी चीज़ है के तर्ज पर शौक है तो पुरे भी होंगे। इन्ही क्लब में एक बड़ा नाम है पीएनयु क्लब। प्रभुनारायण यूनियन क्लब नाम का यह क्लब अक्सर चर्चाओं का केंद्र बना रहता है। भले वह यहाँ का बार हो या फिर कथित किचेन। कभी इसकी कमेटी को लेकर चर्चा तो कभी किसी और बात की चर्चा। क्लब और विवाद लगता है एक दुसरे के पूरक होते जा रहे है।

Photo credit to National Vision

इसी क्रम में आज आबकारी की टीम धमक बैठी पीएनयु क्लब में। इस टीम के आने को शराब तस्कर विनोद जायसवाल से जोड़ कर देखे जाने की चर्चा ने शहर में जोर पकड़ा, मगर आबकारी अधिकारी करुनेंद्र सिंह ने इस सम्बन्ध में पहले तो बताया कि गिनती चल रही है, रूटीन चेकिंग है। कल बयान दिया जायेगा। इसके बाद पत्रकारों को बयान दिए बिना मौके से जाने के बाद अबूझ परिस्थितियों में एक बयान जारी करते हुवे बताया कि कुछ भी आपत्तिजनक नही मिला और ये एक रूटीन चेकिंग थी। अब फोन पर बयान देना और मौके पर सामने बयान देने में फर्क तो होता ही है। मगर आबकारी अधिकारी क्लब में बोरो में भर कर रखी गई खाली बोतलों के संबध में किसी प्रकार का संतोषजनक जवाब नही दे सके। मगर खाली बोतले पत्रकारों के निगाह से बच नही सकी और पत्रकारों के कैमरों में खुद को कैद करवा बैठी है।

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वैसे मौके पर जिस प्रकार की बाते आबकारी टीम के सूत्रों से मिली थी वह आबकारी अधिकारी के अब देर रात दिए जा रहे बयान से उलट ही है। आबकारी के सूत्रों ने बताया था कि काफी कुछ आपत्तिजनक मिला है। यहाँ से शराब की तस्करी को लेकर शिकायते आ रही थी, जिस कारण यहाँ आकर छापेमारी की कार्यवाही हो रही है। इसके अलावा सूत्र ने बताया था कि विभाग को कुछ सबूत भी मिले हैं। मगर इन सूत्रों की जानकारी को आबकारी अधिकारी ने पुष्ट नही किया था और इसी सूत्रों के जानकारी के अनुसार शहर के कई मानिंद खबरनवीसो ने खबर भी चलाया था।जिसमे नेशनल विज़न ने तो अपनी खबर में दावा किया कि आबकारी विभाग को अपनी छापेमारी में ऐसे भी सबूत मिले है जिससे यह ज़ाहिर होता है कि यहाँ से शराब की तस्करी भी होती है।

स्थानीय समाचारों पर अपनी पैनी नज़र रखे नेशनल विज़न ने इस खबर को प्रमुखता से उठाया और कई सम्बंधित फोटो भी प्रकाशित किये है। मगर इसके बावजूद आबकारी अधिकारी का इस चेकिंग को रूटीन चेकिंग का दर्जा देना और कोई आपत्ति जनक सामग्री न मिलना जैसा बयान कई सवाल पैदा करता है। यदि आबकारी अधिकारी जब अपने अधिनस्थो के साथ मौके से जा रहे थे और स्थिति उनके सामने स्पष्ट थी तो वही मौके पर ही पत्रकारों के सवालो का जवाब आखिर क्यों नही दिया ? शायद अधिकारी महोदय को पता होगा कि यदि मौके पर सवालो के जवाब देने लगे तो कई सवाल जो मौके के हालात पर आधारित होते उनके जवाब उनको तलाशने में फिर और भी समय लग जाता। अन्यथा फोन पर कोई भी जवाब दे देने से स्थिति सामान्य दिखाई देगी।

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मौके पर पत्रकारों को बोरो में भरी शराब की बोतले नज़र आई। समाचारों के संकलन के दौरान उन शराब की बोतलों का फोटो सभी ने अपने समाचार के साथ लगाया है। यदि लॉक डाउन के बाद से क्लब में शराब बिक्री अथवा पिलाई नही हुई है तो इतनी शराब की बोतले आखिर किसका इंतज़ार कर रही थी। बोरो में भर कर एक किनारे रखी गई इन बोतलों पर सवाल तो बनता है, मगर आबकारी अधिकारी को शायद बोतलों पर बनता सवाल दिखाई नहीं दिया होगा। शायद इसी कारण मौके पर सवालो के जवाब से अधिकारी महोदय बचते दिखाई दिये।

वही क्लब के एक पुराने सदस्य ने स्थिति के सम्बन्ध अपना नाम न उजागर करने के सम्बन्ध में बताया कि क्लब की कोई कमेटी अभी वर्त्तमान में नहीं है। पूर्व सचिव रह चुके अशोक वर्मा द्वारा लोबी बना कर क्लब का काम देखा जा रहा है जबकि इसका विवाद लंबित है। ऐसे में लॉक डाउन के दौरान राहत सामग्री जनता में बाटे जाने की बात सामने आ रही है। एक सदस्य ने तो यहाँ तक कहा कि अगर राहत सामग्री क्लब के सदस्यों द्वारा बाटी जा रही है तो फिर आखिर क्लब के कैम्पस में किचेन के बगल में रहने वाले परिवार जो निहायत ही गरीब है को राहत सामग्री क्यों नही दिया गया। सूत्रों की माने तो क्लब के किचेन का वैसे तो कोई लाइसेंस नही है, मगर किचेन गुलज़ार रहता है।

आखिर किसके आदेश पर क्लब के कुछ सदस्य कर रहे थर्मल स्कैनिंग

सोशल मीडिया पर वायरल होता एक फोटो हमको प्राप्त हुआ, इस फोटो में क्लब के सदस्य सडको पर पुलिस कर्मियों की थर्मल स्कैनिंग करते दिखाई दे रहे है। इस सम्बन्ध में हमने काफी जानकारी इकठ्ठा करने का प्रयास किया कि किस अधिकारी के आदेश पर क्लब के सदस्य सडको पर घूम घूम कर पुलिस कर्मियों की थर्मल स्कैनिंग कर रहे है। मगर हमको कोई सफलता प्राप्त नही हुई और इसकी कही से भी पुष्टि नही हो पाई कि आखिर किस अधिकारी के आदेश पर ये लोग सडको पर लॉक डाउन के स्थिति में टहल टहल कर पुलिस कर्मियों की थर्मल स्कैनिंग कर रहे थे।

वही हमको ये भी जानकारी नही प्राप्त हो पाई कि इन क्लब के सदस्यों द्वारा थर्मल स्कैनिंग करके अपनी रिपोर्ट आखिर किसको दिया जाता है। आखिर कौन से चिकित्सक है जिन्होंने इस टीम का नेतृत्व किया। या फिर सदस्य खुद ही डाक्टर बनकर सडको पर दौड़ पड़े और थर्मल स्कैनिंग करना शुरू कर दिया। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यहां यह उठता है कि जिला प्रशासन या स्वास्थ्य अधिकारी के बिना अनुमति के ये अधिकार आखिर क्लब के सदस्यों को किसने दिया और फिर किस बिना पर सदस्य इन पुलिस कर्मियों का थर्मल स्कैनिंग किये। ऐसे में लाज़मी है कि प्रशासन स्तर पर इसकी जांच होनी चाहिए कि कही इसकी रिपोर्ट कही ऐसे जगह तो प्रयोग नही हो रही है जिसका हमारे समाज को नुक्सान पहुचे अथवा फिर सिर्फ थर्मल स्कैनिग के आड़ में खुद घूमने का कार्यक्रम बना डाला।

बहरहाल, सवाल तो काफी बाकि है। शायद इसका जवाब अब आबकारी अधिकारी को ही मालूम हो। मगर आबकारी की टीम द्वारा कार्यवाही फिर उसके बाद इस तरीके से धीरे से सभी प्रकरण ठन्डे बसते में डाल देना एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। अब देखना होगा कि स्थानीय प्रशासन इस मामले की कितनी निष्पक्ष जाँच करता है।

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