तारिक आज़मी
रमजान मुबारक का रहमतो और बरकतों का महिना आज शुरू हो चूका है। कल शाम को देखे गए चाँद के बाद सिर्फ फोन पर और अपने घरो में ही लोग एक दुसरे को रमजान मुबारक कहते नज़र आये। इबादतों के इस महीने रमजान में मेरे होश में पहला ऐसा वक्त आया है कि मस्जिदे वीरान पड़ी हुई है,
दरअसल, लॉक डाउन के वजह से सरकारी आदेशो का पालन करते हुवे केवल मस्जिदों में अधिकतम पांच लोग को ही नमाज़ पढने की अनुमति है। सामाजिक सुरक्षा के दृष्टि से यह मुनासिब भी है कि इस तरीके की दुरी बना कर रखा जाए। इस आदेश का पालन मुस्लिम समुदाय ने काफी पहले से शुरू कर दिया है। सभी नमाज़े केवल घरो में पड़ी जा रही है जिसके वजह से मस्जिदे वीरान दिखाई दे रही है।
मुस्लिम समुदाय सभी नमाज़ों में इस मुजी मर्ज़ से निजात की दुआ कर रहा है। लोग मुस्लिम बाहुल्य इलाको में घरो में कैद नमाज़ का वक्त होने पर घरो में ही नमाज़ पढ़ रहे है। ऐसे ने हम सभी का अनुरोध है कि अपने बढ़ते कदम रोके और लॉक डाउन का पूरी तरह पालन करे।
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