गोपाल जी
पटना: एक तरफ जहा कोरोना का कहर नाजिल है वही दूसरी तरफ कोरोना वायरस के चक्कर में आए दिन प्रशासनिक लापरवाही और गलतियां उजागर हो रही हैं। बिहार की राजधानी पटना में इस बार ऐसा मामला सामने आया, जब एक कन्टेनमेंट ज़ोन में ऐसे अधिकारी की नियुक्ति कर दी गई, जिनकी मौत दरअसल दो साल पहले हो चुकी थी।
प्रशासनिक अधिकारियों में बुधवार को उस वक्त डर का माहौल कायम हो गया था, जब एक अधिकारी की मौत की ख़बर फैलने के साथ ही यह चर्चा होने लगी कि अधिकारी का देहांत काम के दबाव के कारण हुआ। लेकिन जब जिला प्रशासन ने अधिकारी का इतिहास खंगाला, तो पुष्टि हुई कि अधिकारी राजीव रंजन, जो भवन निर्माण विभाग में कार्यरत थे, की मौत दो वर्ष पहले ही हो चुकी थी।
इसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने ऐसे अधिकारी का नाम सामने आ जाने की जांच की, तो पता चला, कि अतीत में राजीव रंजन ने मजिस्ट्रेट के रूप में काम किया था, और जिला प्रशासन के डेटाबेस में उनका नाम अब तक मौजूद है, इसलिए जब अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की बात आई, तो उनका नाम भी निकल आया। इसके बाद उनके परिवार वालों ने जब उनका देहांत हो चुका होने की ख़बर दी, तो शुरुआत में मीडिया में कन्फ्यूज़न की वजह से पहले यह ख़बर फैल गई कि अधिकारी की मृत्यु बुधवार शाम को ही हुई है।
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