गोपाल जी
यूट्यूब पर अकाउंट बना कर, पत्रकारिता करना और पत्रकारिता का रौब धसना कितना आसान होता जा रहा है। मगर आता न जाता, चुनाव चिन्ह छाता, वाले पत्रकारों को कभी कभी उनकी पत्रकारिता ही दुश्मन बन बैठती है। खबर में चटख मसाले मिलकर फर्जी खबरों को परोस कर रातो रात बड़ा आदमी बनने का सपना देखना भले आसान है मगर जब यही सपना टूटता है तो सलाखे दिखाई देती है।
हुआ कुछ इस तरीके से कि कोरोना वायरस के कारण फैली महामारी से लड़ाई के लिए मुज़फ़्फ़रपुर के बीजेपी सांसद अजय निषाद ने अपनी सासंद निधि से एक करोड़ रुपये जारी करने का ऐलान किया था। खबर उतनी बड़ी नही थी क्योकि करीब करीब हर एक सांसद और विधायक ने इस प्रकार का एलान किया और दिया है। रकम थोडा उन्नीस बीस ज़रूर हो सकती है मगर पूरा देश इस महामारी से लड़ने के लिए कमर कस कर खड़ा है।
मगर भाजपा सांसद अजय निषाद उस समय अचानक सुर्खियों में आ गए जब उनके संसदीय क्षेत्र के एक स्थानीय पत्रकार महोदय ने खबर लिख युट्यूब पर चला डाली की “सांसद महोदय ने एक करोड़ रुपये का ऐलान तो कर दिया, मगर उनकी सांसद निधि खाते में हैं केवल 54 लाख रुपये।” फिर क्या था मामले को तुल पकड़ते देर नही लगी और रातो रात बड़ा नाम बनने की चाहत लिए पत्रकार महोदय खुद के लिए ही मुसीबत मोल बैठे। खुद का नाम और प्रतिष्ठा ख़राब होती देख मामले की शिकायत सांसद निषाद ने स्थानीय प्रशासन से किया,
फिर क्या था मामले की जांच हेतु प्रकरण सांसद का शिकायती प्रार्थना पत्र पर डीएसपी नगर ने जांच किया और अपनी सुपर विज़न रिपोर्ट में यह पाया कि सांसद द्वारा लगाये गए सभी आरोप सत्य है और पत्रकार ने गलत तथ्य प्रसारित किया था। इसके बाद पत्रकार महोदय पर ऍफ़आईआर दर्ज हो गई। अब प्रकरण में पत्रकार महोदय दावा करते फिर रहे है कि जब उन्होंने खबर चलाई थी तो mplads.gov.in की साइट पर वही आंकड़े दिए गए थे जो ख़बर में उन्होंने दिखाया है। अब पुलिस अब पत्रकार महोदय की गिरफ़्तारी के लिए छापेमारी कर रही है, पुलिस के अनुसार पत्रकार महोदय फरार है। वही पुलिस मामले में एकदम नरमी नही बख्शते हुवे कुर्की की कार्यवाही करने की तैयारी कर रही है।
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