ए जावेद
वाराणसी। आपने एक नज़्म सुनी होगी। माँ मैं भी रोज़े रखूँगा, या अल्लाह तौफीक दे। इस नज़्म के अल्फाज़ एक बच्चे के जुबानी है। जिससे यह अंदाज़ लगाया जाता है कि एक बच्चा अपने माँ बाप से जिद का रहा है कि मैं भी रोज़े रखूँगा। मई और जून की शिद्दत की गर्मी रोजेदारो के पसीने छुडवा देती है। उस पर से 16 घंटे के लगभग लगातार भूखे प्यासे रहना सिर्फ अल्लाह की रजा के लिए एक जज्बा ही होता है।
कोयला बाज़ार के रहने वाले शेख जव्वाद अली के बेटे अदीब शेख डब्लू० एच० स्मिथ मेमोरियल स्कूल सिगरा में कक्षा 5 का छात्र है। लॉक डाउन में स्कूल बंद होने के वजह से घर पर ही रहना और फिर इसी दरमियान रमजान का महिना आ गया। पुरे परिवार को हर साल पुरे रोज़े रखते हुवे देखने वाला मासूम अदीब भी जिद पकड़ बैठा कि माँ मैं भी रोज़े रखूँगा। पहले तो वालदैन और अन्य परिजनों ने काफी समझाने की कोशिश किया। मगर मासूम नही मानना था तो नही माना। पहले ही रोज़े की सहरी में सहर करके जिद पकड़ लिया कि रोज़े रखूँगा। पहला रोज़ा पूरा हुआ। इसके बाद तो रोज़ का ही मामूर बना लिया कि रोज़े रखूँगा और रख लिया करता।
माँ अपनी ममता में परेशान रहती कि इस मासूम बच्चे को किसी तरह रोज़े छुडवा दे। मगर बेटा मानता ही नहीं इसी मानने मानाने में ही पूरा रमजान गुज़र गया और अदीब ने पुरे तीस रोज़े मुकम्मल कर लिए। सिर्फ रोज़े ही नहीं बल्कि इसके साथ साथ हर वक्त की माँ बाप के साथ नमाज़ भी पढना। उसके मामूर में पुरे महीने शामिल रहा। आज जब तीस रोज़े पुरे हुवे तो सबने अदीब के जज्बे की तारीफ किया और परिजनों के तरफ से बधाई भी मिली। सच मायने में आज असली ईद तो अदीब की ही है।
आदिल अहमद डेस्क: कैलाश गहलोत के आम आदमी पार्टी से इस्तीफ़ा देने पर राज्यसभा सांसद…
आफताब फारुकी डेस्क: बीती रात रूस ने यूक्रेन की कई जगहों पर कई मिसाइलों और…
तारिक खान डेस्क: दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने मंत्री पद और आम…
फारुख हुसैन डेस्क: मणिपुर में शनिवार को हुई हिंसा पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने…
अबरार अहमद डेस्क: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से शनिवार को फूलपुर में…
माही अंसारी डेस्क: मणिपुर और असम की सीमा के पास जिरी नदी में शुक्रवार को…