तारिक आज़मी – वास्तविकता दर्शाता समस्त फोटो साभार अदनान खान
वाराणसी. देश में सबसे अधिक ज्ञान को नुकसान अगर किसी ने पहुचाया है तो वह है व्हाट्सअप। एक सोशल मीडिया प्लेट फार्म से चलते हुवे व्हाट्सअप कब एक फेक यूनिवर्सिटी बन गया पता ही नहीं चला। अजीबो-गरीब ज्ञान के ज्ञानी आपको इस यूनिवर्सिटी में मिल जायेगे। यहाँ दो साल तीन साल क्या कभी कभी दशको पुराने समाचार को भी ब्रेकिंग न्यूज़ के तौर पर चला कर लोग वाहवाही लूटने की कोशिश करते है। प्रशासन लाख इसके ऊपर सख्त रहे, कार्यवाही करे, मगर ये चंद अतिज्ञानी अपने अल्प ज्ञान को बघारते ज़रूर मिल जायेगे।
ऐसा ही कुछ आजकल हो रहा है सोशल मीडिया पर। एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमे भीड़ दिखाते हुवे कहा जा रहा है कि चाईना मार्किट नई सड़क दालमंडी में सोशल डिस्टेंस की उडती धज्जिया। इस वीडियो के जो भी निर्माणकर्ता है उनको पहले तो इस बात को स्पष्ट हो जाना चाहिये कि नई सड़क और दालमंडी चाईना की नहीं बल्कि इन्डिया की मार्किट है जहा के ग्राहक से लेकर हर एक दुकानदार भारतीय है और भारतीयता का प्रचार प्रसार करता है। इसको चाईना मार्किट कहकर बदनाम आपके द्वारा करना सरासर गलत और समाज को भड़काने का काम है। अब करते है बात इस वीडियो एक तफ्तीश की। तफ्तीश में पहले हमने गौर से वीडियो देखा। वीडियो साफ़ साफ़ रात का बनाया हुआ दिखाई दे रहा है क्योकि हर दूकान पर तेज़ लाइट जल रही है। साथ में लोगो के पीछे खाली जगह पर अँधेरा भी दिखाई दे रहा है। जो इस बात को प्रमाणित करता है कि वीडियो रात का है।
अब दुसरे पहलू पर आते है। वीडियो में जैसा दिखाया जा रहा है कि नई सड़क-दालमंडी तो स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि वीडियो रात का नई सड़क कपडा मार्किट का है। अब रात को तो लॉक डाउन में छुट है नहीं तो पहली ही नज़र में वीडियो फर्जी दिखाई दे रहा है। वीडियो की तफ्तीश किया तो ये वीडियो लगभग दो साल पुराना है। नई सड़क कपडा मार्किट का ये पुराना वीडियो व्हाट्सअप पर फर्जी तरीके से नया वीडियो बता कर वायरल किया जा रहा है और लोग इसको नया मान कर खूब जमकर कमेन्ट कर रहे है। शायद ऐसी स्थिति के लिए एक कहावत है कौवा कान ले गया।
बहरहाल, हम फिर भी अपनी तफ्तीश में निकल पड़े। बनारस ही क्या पुर्वांचल की मशहूर मार्किट नई सड़क दालमंडी की सडको से लेकर पेचीदा दलीलों जैसी गलियों की हमने खाद छान मारी। हमको कही कुछ ऐसा नही दिखाई दिया। कपडा मार्किट में दोपहर के वक्त बंद दुकानों के सम्बन्ध में मालूम चला कि लॉक डाउन 4 में मिली छुट के पहले दिन नई सड़क कपडा मार्किट में कुछ दो चार दुकाने खुली, मगर क्षेत्र के संभ्रांत नागरिको और व्यवसाइयो ने खुद से इन दुकानों को बंद करवा दिया और लॉक डाउन के अन्य दिनों की तरह ही इस क्षेत्र की दुकाने बंद ही रहती है। कोई भी दूकान खुल नहीं रही है।
बहरहाल, इस मुताल्लिक मैंने एक दूकानदार जो खुद की दूकान के चबूतरे पर बैठे थे पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि भाई कपडे की दूकान है। एक ग्राहक के साथ चार पांच लोग चलते है। एक साथ दो ग्राहक आयेगे तो दूकान में दस लोगो की भीड़ होना लाज़मी है। इसमें सोशल डिस्टेंस की धज्जिया उड़ जाएगी। साथ ही साथ हमारी खुद की सुरक्षा भी ताख पर रखी रहेगी। हमको तो नहीं पता कि किस ग्राहक को संक्रमण है किसको नहीं। वैसे भी रमजान लगभग पूरा बीत चूका है। अपनी और समाज की सुरक्षा के लिए हमारे व्यापार मंडल ने फैसला लिया है कि हम दुकाने नही खोलेगे। हमारी कोशिश है कि रोज़मर्रा के सामनो की दुकाने भी केवल एक दो ग्राहकों के साथ चले। ज्यादा ग्राहक होने पर हम लोग खुद ग्राहकों को दूर दूर खड़े होने को कहते है।
वही हमारा सफ़र दालमंडी होते हुवे चौक तक गया। मगर वहा भी ऐसा कुछ दिखाई नही दिया जैसा वीडियो में दावा किया जा रहा है। दालमंडी क्षेत्र में रोज़मर्रा के सामानों की दुकाने ही खुल रही है, मगर प्रशासनिक नियमो के तहत। हां ग्राहकों के आने जाने का सिलसिला बरक़रार था। दूर से फोटो खीचने वाले वैसे इसको भीड़ कह सकते है। मगर दूकानदार मानक का खुद भी प्रयोग कर रहे थे और ग्राहकों से भी करवा रहे थे।
इस सम्बन्ध में हमको क्षेत्रीय चौकी इंचार्ज सौरभ ने बताया कि पहले दिन दुकानों के क्रम समझाने में समय लगा। काफी मेहनत करना पड़ा और लोगो को समझाना भी पड़ा कि कौन दूकान खुलेगी कौन नहीं। मगर इसके बाद से सभी दूकानदार खुद से समाझ कर मनको का पूरा ध्यान रख रहे है। किसी दूकान पर भीड़ नही होने दे रहे है। बिना मास्क लगाये अथवा बिना चेहरा ढके कोई ग्राहक को कोई भी सामान दूकानदार नही दे रहा है। इसकी बानगी हमने खुद देखा जब एक प्लास्टिक एक सामान की दूकान पर एक ग्राहक बिना मुह ढके ऊपर चढ़ने लगा तो बाहर खड़े दूकानदार के कर्मी ने उसको रोका और चेहरा ढक कर आने को कहा,
बहरहाल, हमने इस बात की भी तफ्तीश किया कि कही ऐसा तो नही कि जुगाड़ के तहत रात को दुकाने खुलती हो और वीडियो में दिखाई दे रही भीड़ रात को आई हो। मगर हकीकत एकदम उलट रही। सन्नाटा पसारे नई सड़क कपडा मार्किट में सिर्फ आवारा पशु ही दिखाई दे रहे थे। कुछ पुलिस कर्मी अपनी ड्यूटी को अंजाम दे रहे थे। फैंटम का दस्ता भी गश्त करता दिखाई दिया। क्षेत्र के संभ्रांत नागरिक अपने कर्तव्यों का पूरा पालन करते दिखाई दिये। सब मिला कर यह साबित हुआ कि वायरल हो रहा वीडियो फर्जी है। किसी खुराफाती दिमाग की उपज है केवल क्षेत्र के दुकानदारों को बदनाम करने की गरज से। ऐसे लोग सिर्फ घरो में बैठ कर किसी भी फर्जी वीडियो को असली बताते हुवे समाज में नफरत फैलाने का काम कर बैठते है। वायरल होते वीडियो को लेकर क्षेत्र के दुकानदारों में काफी रोष दिखाई दिया। उन्होंने प्रशासन से ऐसे लोगो पर लगाम कसने की अपनी मांग भी किया है।
तारिक आज़मी वाराणसी: वाराणसी पुलिस कमिश्नर ने साफ़ साफ़ हुक्म जारी किया था कि शहर…
फारुख हुसैन डेस्क: असम-मणिपुर सीमा के निकट जिरी नदी में शुक्रवार को एक महिला और…
ए0 जावेद वाराणसी: गांधी विरासत को बचाने के लिए वाराणसी स्थित राजघाट परिसर के सामने…
ईदुल अमीन डेस्क: उत्तर प्रदेश के झांसी में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में आग लगने…
माही अंसारी डेस्क: मणिपुर में हालात एक बार फिर तनावपूर्ण हो गए हैं। इसे लेकर…
मो0 शरीफ डेस्क: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के…