तारिक आज़मी
प्रयागराज। पूर्व सांसद और बाहुबली नेता अतीक अहमद के छोटे भाई व एक लाख के इनामी पूर्व विधायक खालिद अजीम उर्फ अशरफ के चार साले व रिश्तेदारों समेत आठ लोगो को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। एक लाख के इनामिया अशरफ की तलाश में पुलिस छापेमारी करती रही और आखिर हाथ ही मलती रह गई। जबकि अशरफ फरार हो गया।
करीबी रिश्तेदार है, वो सहयोग दिए न दिए ये क्या पूछने की बात है साहब, रिश्तेदार है तो सहयोगी होगा ही। कल तक जिसके नाम पर अपना खुद का इलाके में सिक्का लोगो ने चलाया वह आज उसके फरारी में सहयोगी न हो ये कहा से उचित होगा। बिलकुल सहयोगी होगा ये कामन सेन्स की बात है। क्योकि जितने आज हिरासत में लिए गए है ये सभी अपने अपने इलाके में खुद का सिक्का अतीक और अशरफ के नाम से चला रहे थे। ऐसा नही कि पुलिस की जानकारी में ये बात न हो। पुलिस जानती भी है और पहचानती भी है। मगर बोलती नही है सिर्फ।
थोडा और आगे तक की अगर सोच बताया जाए तो वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ने को बेताब अतीक अहमद की नज़र बनारस के मुस्लिम वोटो पर थी। मुस्लिम मतो के सहारे अपने ऊपर आई मुसीबतों की सौदेबाजी भी एक तरीका हो सकता है सोच का। मगर बात उलटी पड़ी और चुनाव लड़ना तो दूर चुनाव अतीक खड़ा नही कर सके। अब अगर हाईटेक सोच के साथ पुलिस सोचती तो शायद वह दबिश प्रयागराज और कौशाम्बी में नही बल्कि बनारस पुलिस से सहयोग लेती और बनारस में उसके जानने और पहचानने वालो की लिस्ट तलाश लेती तो शायद अशरफ पुलिस के हाथ चढ़ गया होता।
साहब ऐसा हम नही बल्कि हमारे सूत्र बताते है कि वाराणसी जनपद के कई घनी आबादी वाले इलाको में अशरफ की अच्छी पकड़ है। इसी कारण मात्र चंद घंटो में ही उसका खुद का नामांकन फार्म भर भी गया और जमा भी हो गया। एक अच्छी खासी भीड़ उसके लिये अपना प्रस्ताव लेकर नामांकन परिसर के आसपास खड़ी थी। शायद इस बात की जानकारी प्रयागराज पुलिस को भी हो। क्या एक बार उनसे कभी पूछताछ हुई कि उनको प्रस्तावक बनने के लिये किसने और कब संपर्क किया था। अगर गहराई से छानबीन करेगे तो अधिकतर प्रस्तावक अतीक अहमद को जानते भी नही होंगे और न कभी शक्ल देखा होगा। मगर प्रस्तावक बने थे। फिर उनको प्रस्तावक बनाने का काम किसने किया था।
सूत्र तो ये भी बताते है कि अशरफ ने ही पूरा चुनाव मैनेज किया था। टिकट की भागदौड़ भी थी और एक पार्टी से संपर्क भी स्थापित हुआ था। मगर पार्टी ने टिकट नही दिया। वही पुलिस का कसता शिकंजा भी चुनाव को दरकिनार कर खुद को सुरक्षित रखने की पहल अतीक के इन शुभचिंतको से करवा गया। अब देखना होगा कि एक लाख का इनाम खुद के ऊपर रखकर पुलिस के गिरफ्त से दूर अशरफ को पुलिस कब तक पकड़ पाती है। या फिर इनाम राशि और बढ़ने का इन्तेजार है।
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