करिश्मा अग्रवाल
व्यञ्जना आर्ट एण्ड कल्चर सोसायटी, प्रयागराज की ओर से आयोजित विद्यार्थियों के सुविधा के लिए पाँच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है कार्यशाला के चौथे दिन जयपुर अतरौली घराने की प्रतिष्ठित कलाकार पद्मविभूषण विदुषी किशोरी अमोंकर की सुयोग्य शिष्या विदुषी मंजिरी असनारे-केलकर ने अपने घराने के अनुसार कण्ठ साधना रियाज का सलीका, आवाज का लगाव व आपने बताया कि विद्यार्थियों का गुरू के प्रति समर्पण होना आवश्यक है, गुरू का संस्मरण करते हुए कहा “ विद्यार्थियों को एकाग्र होना चाहिए, जैसे किशोरी ताई जब गाती थीं तब उनका तानपूरा एवं वह स्वयं वही राग हो जाती थीं”।
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