वरुण जैन
स्वार. प्रधान ने मनरेगा में कराए जाने वाले कार्यों को बिना कराए ही उसका पूरा भुगतान कर दिया। शिकायत पर जाँच को पहुँचे एसडीएम ने ग्रांम प्रधान की घोटालेबाजी पकड़ ली। जाँच में ये भी पता चला कि प्रधान ने अपने पारिवारिक सदस्यों के खाते में रुपये डलवाये हैं। एसडीएम ने मामले की आख्या जिलाधिकारी को भेजी है।
ऐसा ही एक मामला उपजिलाधिकारी के समक्ष पहुँचा। क्षेत्र के गांव मुस्तफाबाद खुर्द निवासी एक व्यक्ति ने उपजिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर ग्राम प्रधान पर आरोप लगाया कि प्रधान ने मनरेगा योजना के अंतर्गत बिना निर्माण कार्य कराये ही उसका भुगतान भी निकाल लिया है। इसकर साथ ही प्रधान ने अपने पारिवारिक सदस्यों व अपने चहेतों के जॉब कार्ड बनवाये हैं। जबकि कई पात्र लोग अभी भी योजना के लाभ से वंचित हैं। रविवार को उपजिलाधिकारी राकेश गुप्ता शिकायत की जाँच को गांव पहुँचे। जाँच की तो पता चला कि ग्राम प्रधान वाजिद ने मनरेगा के अंतर्गत कराए जाने वाले कार्य को केवल कागजों में निबटा दिया है। कार्य के निर्माण में आवंटित रकम का पूरा भुगतान भी कर दिया गया है। भुगतान किये गए कागजों की जाँच में पता चला कि प्रधान ने अपने पारिवारिक सदस्यों के खाते में भुगतान की रकम ट्रांसफर कराई है।
उपजिलाधिकारी ने सभी अभिलेखों की जाँच कर पूरी आख्या जिलाधिकारी को भेजी है। उपजिलाधिकारी राकेश गुप्ता ने बताया कि ग्राम प्रधान के खिलाफ शिकायत मिली थी कि मनरेगा योजना में बिना कार्य कराए ही उसका भुगतान निकाला गया है। इसके साथ ही कई पात्र लोग योजना के लाभ से वंचित रह गए हैं। जाँच में ग्राम प्रधान के खिलाफ की गई शिकायत सही पाई गई। ग्राम प्रधान ने बिना कार्य कराए ही पूरा भुगतान निबटा दिया है। प्रधान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी। जाँच की पूरी आख्या जिलाधिकारी को रिपोर्ट भेज दी गयी है। इसके साथ ही जिस किसी भी पात्र व्यक्ति को योजना के लाभ नहीं मिल पाया है उसकी सूची तैयार कराने के लिए हल्का लेखपाल को निर्देशित किया गया है।
घोटाले में ग्राम पंचायत अधिकारी की भूमिका भी संदिग्ध
रविवार को उपजिलाधिकारी राकेश गुप्ता ने क्षेत्र के गांव मुस्तफाबाद खुर्द में मनरेगा योजना में बिना निर्माण कराये ही पूर्ण भुगतान करने के घोटाले को पकड़ लिया। घोटाले में ग्राम प्रधान की घपलेबाजी तो सामने आ गयी। लेकिन इस घोटाले में ग्राम पंचायत अधिकारी की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। ग्राम पंचायत में किसी भी तरह के निर्माण के भुगतान के लिए ग्राम प्रधान के साथ ग्राम पंचायत अधिकारी की भी सहमति आवश्यक होती है। ग्राम पंचायत में हुए इस घोटालेबाजी ने ग्राम पंचायत अधिकारी की भूमिका को भी सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।
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