आफताब फारुकी
नई दिल्ली: संसद के अंदर और बाहर विरोध और विपक्ष द्वारा सदन के बहिष्कार के बीच सरकार ने तीनों लेबर कोड बिल सहित मात्र दो दिनों में 15 विधेयक पास करवा लिया है। लेकिन उसके सामने अब अगली चुनौती संघ परिवार के अंदर से उठ रहे सवालों से निपटना होगा। भारतीय मज़दूर संघ ने जो आरएसएस से जुडा हुआ है ने आरोप लगाया है कि सरकार ने ये तीनों बिल जल्दबाज़ी में पारित कराए हैं और उनकी मुख्य मांगों को सरकार ने नज़रअंदाज़ कर दिया।
कुछ ही देर बाद विपक्ष के बहिष्कार के बावजूद श्रम मंत्री ने विवादित तीन श्रम कोड्स बिल – सोशल सिक्युरिटी कोड 2020, कोड ऑन ऑक्युपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड 2020 और इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड 2020 को चर्चा के लिए सदन में पेश कर दिया। विपक्षी सांसद संसद परिसर में प्रदर्शन करते रहे और राज्य सभा में चर्चा चलती रही।
सोशल सिक्युरिटी कोड 2020 के तहत एम्प्लॉई स्टेट इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन के तहत कामगारों को स्वास्थ्य सुरक्षा का अधिकार देने का प्रावधान 566 से बढाकर 740 जिलों में किया गया है। ईपीएफओ का कवरेज 20 कामगारों वाले सभी प्रतिष्ठानों पर लागू होगा। वर्तमान में यह केवल अनुसूची में शामिल प्रतिष्ठानों पर लागू था। 20 से कम कामगारों वाले प्रतिष्ठानों को भी ईपीएफओ में शामिल होने का विकल्प दिया जा रहा है।
साथ ही, मजदूरों की स्वस्थ्य और व्यावसायिक सुरक्षा के लिए व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य दशा संहिता 2020 में कामगारों के लिए वर्ष में एक बार निःशुल्क चिकित्सा जांच और पहली बार कामगारों को नियुक्ति पत्र प्राप्त करने का कानूनी अधिकार दिया गया है। लेबर कोड में प्रवासी कामगारों के लिए राष्ट्रीय डाटाबेस के निर्माण का प्रस्ताव भी शामिल है। श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि नई श्रम संहिताओं में 50 करोड़ से अधिक संगठित, असंगठित तथा स्व-नियोजित कामगारों के लिए न्यूनतम मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा आदि का प्रावधान किया गया है।
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