मो0 कुमैल
लखनऊ: बाबरी मस्जिद को कारसेवकों ने दिसंबर, 1992 में ढहाया था। उनका दावा था कि अयोध्या में यह मस्जिद भगवान राम के ऐतिहासिक राम मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी। इसके बाद दर्ज मुक़दमे में सुनवाई लगातार चलती रही है। अब बाबरी विध्वंस मामले में लखनऊ में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट 30 सितंबर को फैसला सुनाने वाली है।
मामले में दो सितंबर से फैसला लिखना शुरू किया जाना था। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील मृदल राकेश, आईबी सिंह और महिपाल अहलूवालिया ने आरोपियों की तरफ से मौखिक दलीलें पेश की। इसके पहले कोर्ट ने नाराजगी जताई थी कि बचाव पक्ष अपना लिखित जवाब दाखिल नहीं कर रहा। स्पेशल जज ने बचाव पक्ष के वकील से कहा था कि अगर वह मौखिक रूप से कुछ कहना चाहते हैं तो 1 सितंबर तक कह सकते हैं, वरना उनके मौके खत्म हो जाएंगे।
इसके बाद सीबीआई के वकीलों ललित सिंह, आर।के। यादव और पी। चक्रवर्ती ने भी मौखिक दलीलें दीं थीं। सीबीआई सुनवाई के दौरान आरोपियों के खिलाफ 351 गवाहों और लगभग 600 दस्तावेज प्रस्तुत कर चुकी है। अदालत को फैसला करने में सीबीआई के गवाहों और दस्तावेजों पर गौर करना है। एजेंसी पहले ही 400 पेजों की लिखित बहस दाखिल कर चुकी है।
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