अरविन्द यादव
(बलिया)। बलिया जनपद का आपूर्ति कार्यालय एक सरकारी कार्यालय नही बल्कि एक मज़ाक का केंद्र बनकर रह गया है। जहा अधिकारियो की कुर्सी पर कोई भी कभी आकर बैठ जाता है और खुद को अधिकारी समझते हुवे रखी गई फाइलो का अवलोकन भी करता है। आने वाले शिकायतकर्ताओ के खुद ही शिकायत सुनता है। इस दरमियान कार्यालय के अन्य कर्मचारी शायद उसकी चाय पान के अहसान का क़र्ज़ उतारते है और मूकदर्शक ही बने रहते है।
बहरहाल, हमने किसका नमक खा रखा है जो हम उसका फ़र्ज़ निभाये। हम तो कलम की रोटी खाते है तो कलम का फ़र्ज़ निभा रहे है। हमने इस सम्बन्ध में जब डीएसओ से फोन पर बात किया। उनको वास्तविक स्थिति से अवगत करवाते हुवे इस सम्बन्ध में प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने कहा कि अगर इसका कोई साक्ष्य मिलेगा तो उचित कार्रवाई की जाएगी। अब साहब साक्ष्य तो हम आकर देने वाले नही है। आप खबर में लगी फोटो देख ले और खुद उसको डाउनलोड कर डाले। आपको नज़र भी आ जायेगा और आपका साक्ष्य भी इकठ्ठा हो जायेगा। वैसे साहब इस युवक के हाथ में जो पत्रावली है वह सरकारी दस्तावेज़ कहा जाता है। उसका अवलोकन करने का अधिकारी इसको किसने दे डाला है ? छोड़े कुर्सी को, वो आज आपकी है, कल किसी और की होगी।
वैसे लोगों की माने तों इस कार्यालय में अक्सर अधिकारी की कुर्सी पर दूसरे लोग ही बैठकर लोगों की समस्या सुनते नजर आते हैं। इस सम्बन्ध में एडवोकेट देवेंद्र गुप्ता ने भी अक्सर कार्यालय बंद रहने की बात कहते हुए आरोप लगाया कि कार्यालय में सीसीटीवी कैमरा ना होने के चलते अधिकारी मनमानी कर रहे हैं और इसका फायदा उठा रहे हैं।
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