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दिल्ली दंगो को लेकर मशहूर पुर्व आईपीएस जूलियो रिबेरो की दूसरी चिट्ठी, कहा अगर हेट स्पीच देने वाले मुस्लिम या फिर वामपंथी होते तो पुलिस उन पर देशद्रोह का चार्ज लगा देती

आफताब फारुकी

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने बुधवार को दिल्ली में फरवरी महीने में हुए दंगों को लेकर 17,500 पेज की चार्जशीट फाइल किया है, इसमें बस एक पक्ष के 15 लोगों के नाम हैं। इसके बाद जाने-माने पूर्व पुलिस ऑफिसर जूलियो रिबेरो ने फिर एक बार दिल्ली पुलिस कमिश्नर को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने अपनी इस दूसरी चिट्ठी में एक बार फिर दिल्ली दंगों में ‘बीजेपी के उन तीन नेताओं को दिए गए लाइसेंस’ पर सवाल उठाया है, जिनपर हिंसा के पहले भड़काऊ भाषण देने के आरोप लगे थे।

रिबेरो की पहली चिट्ठी पर दिल्ली पुलिस के चीफ एसएन श्रीवास्तव ने उन्हें आश्वासन देते हुए कहा था कि दंगों की जांच तथ्यों के आधार पर और न्यायपूर्ण तरीके से की जा रही है। इस सांप्रदायिक हिंसा में 53 लोगों की मौत हो गई थी, वहीं 200 लोग घायल हुए थे। साथ ही करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ था।

जूलियो रिबेरो ने अपनी चिट्ठी में लिखा है, ‘मेरे पहले ओपन लेटर में कुछ संदेह उठाए गए हैं, जिनपर आपने बात नहीं की है। मैं समझता हूं कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों के खिलाफ हेट स्पीच इस्तेमाल करने वाले इन तीन बीजेपी नेताओं को इसके लिए दिए गए लाइसेंस को जायज ठहराना मुश्किल, दरअसल नामुमकिन है। अगर हेट स्पीच देने वाले मुस्लिम या फिर वामपंथी होते तो पुलिस उनपर देशद्रोह का चार्ज लगा देती।’

पद्म भूषण और राष्ट्रपति के पुलिस मेडल से सम्मानति पूर्व आईपीएस ऑफिसर जूलियो रिबेरो ने अपनी पहली चिट्ठी में कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा का नाम लिया था और पूछा था कि उनको पूछताछ के लिए क्यों नहीं बुलाया गया है। बता दें कि कपिल मिश्रा दंगों के पहले पुलिस वालों के साथ खड़े दिखाई दिए थे और CAA के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों के न हटने पर ‘सड़कों पर उतर जाने’ की धमकी दे रहे थे। वहीं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ‘गोली मारने’ जैसे नारे लगवाते दिखाई दिए थे। परवेशन वर्मा भी इस दौरान भड़काऊ भाषण देते हुए नजर आए थे। जूलियो रिबेरो ने एस एन श्रीवास्तव से आग्रह किया है कि दिल्ली पुलिस दंगों को लेकर दर्ज सभी 753 मामलों में चार्जशीट फाइल करे।

गौरतलब हो कि जूलियो फ्रांसिस रिबेरो एक सेवानिवृत्त भारतीय पुलिस अधिकारी और सिविल सेवक हैं। उन्होंने अपने करियर के दौरान कई जिम्मेदार पद संभाले और पंजाब उग्रवाद के दौर में पंजाब पुलिस का नेतृत्व किया। 1987 में, उन्हें उनकी सेवाओं के लिए भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

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