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कानपुर – आखिर कौन है वो कमबख्त जिसने लगाया हाफ़िज़ हलीम साहब के नाम पर अपनी ट्रेवेल एजेंसी का पोस्टर

आदिल अहमद

कानपुर। कानपुर का हर एक बाशिंदा हाफ़िज़ हलीम साहब की इज्ज़त करता है। कानपुर की शान अगर गिनी जाये तो पत्रकारिता जगत में जहा हिंदी पत्रकारिता के जनक रहे पंडित जुगल किशोर शर्मा का नाम आयेगा वही शिक्षा जगत में हाफिज मुहम्मद हलीम का नाम बड़े ही अदब के साथ लिया जाएगा। हाफिज हलीम साहब ने अपनी ज़िन्दगी में शिक्षा के ऊपर काफी काम किया। सर सय्यद अहमद खान से मुत्तासिर होकर हाफ़िज़ हलीम साहब ने अपनी ज़िन्दगी शिक्षा के नाम कर दिया था। ज़िन्दगी के आखरी दिनों में उन्होंने अपनी समस्त सपत्ति शिक्षा के नाम किया था जिस संपत्ति पर आज भी हलीम कालेज है।

उनकी इस समाज सेवा के कारण ही उनका अहम मुकाम शिक्षा जगत में माना जाता है। एक पूरा इलाका ही उनके नाम पर बस गया। उनके नाम से चौराहे की तामीर हुई। एक स्तम्भ के रूप में उनके नाम को आने वाली नस्लों के लिए जिंदा रखने के गरज से चौराहे पर उनके नाम का एक खुबसूरत पत्थर लगाया गया। इसका रखरखाव से लेकर साफ़ सफाई तक के लिए कर्मचारी रखे गए है। लोग शान से हाफिज हलीम के मोहल्ले से अपना रिश्ता बताते अहि।

मगर उसी कानपुर में कुछ समाज के कुर्दोग्लो किस्म के शख्स ऐसे भी है जिनको शायद हाफ़िज़ हलीम साहब के नाम से ही इर्ष्या है। वैसे तो हलीम साहब के पैर में पड़ी जुती पर लगे अदना धुल के बराबर भी इनकी हैसियत नही है। मगर हलीम साहब के नाम से मुकाबिल होने की जुर्रत करते दिखाई दे जाते है। ताज़ा मामला एक ट्रेवेल एजेंसी का है। जिसने अपने प्रचार प्रसार के लिए खुद का पोस्टर हाफिज हलीम साहब के नाम पर ही चिपका रखा है। असल में ये उनकी बदबख्ती की इन्तहा है। कहने को वो अपना प्रचार प्रसार कर रहा है। मगर इस बदबख्त को इतना भी समझ नही आया कि पोस्टर जिसके नाम पर लगा रहा है उसका नाम पोस्टर चिपकाने और चिपकवाने वालो के पुरे कुनबे से भी बड़ा है।

सबसे बड़ा सवालिया निशाँन तो उस कमेटी के कार्यशैली पर लगता है जिसने अभी तक इन पोस्टरों को फाड़ा नही है। कहने को तो साफ़ सफाई के लिए भी कमेटी ने इंतज़ाम कर रखा है। मगर एक समाज के गंदे इंसान की इस गन्दी करतूत को साफ़ करने पर शायद कमेटी की नज़र नही पड़ी है। हफ्ते गुजरने को बेताब है और पोस्टर हाफिज हलीम साहब के नाम पर लगा हुआ है। क्षेत्रीय नागरिको में इसको लेकर आक्रोश भी है। मगर कमेटी ने इस पोस्टर को वहा से हटाया नही है।

वही नगर निगम प्रशासन बिना अनुमति के ऐसे पोस्टर लगाकर खुद का प्रचार प्रसार करने वाले पर सख्त नही दिखाई दे रहा है। वही पोस्टर चिपकाने वाला जो भी होगा उसकी इस कमज़र्फ हरकत पर समाज को शर्मिंदगी महसूस हो रही है। मगर उस इंसान को शायद शर्म भी नहीं आई जिसने इस पोस्टर को लगाया है।

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