तारिक़ खान
प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के 2012 बैच के दरोगाओं को इंस्पेक्टर पद पर प्रोन्नत करने के मामले में छह सप्ताह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने डीआईजी स्थापना को निर्देश दिया है कि वह प्रोन्नति के योग्य पाए गए दरोगाओं की ट्रेनिंग का आदेश चार सप्ताह के भीतर जारी करें। प्रदेश के कई जिलों में तैनात दरोगाओं ने यह कहते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी कि उनके बैच के 300 से अधिक दरोगाओं को इंस्पेक्टर ट्रेनिंग के लिए भेजा गया है। इनमें से कई दरोगा वरिष्ठता सूची में उनसे जूनियर हैं। याचीगण का दावा अस्वीकार करने का कोई कारण नहीं बताया गया है।
इन सभी की सेवा सात वर्ष से अधिक हो चुकी है और वे यूपी उपनिरीक्षक और निरीक्षक (नागरिक पुलिस) सेवा पंचम संशोधन नियमावली-2018 के नियम 5 व 17 के तहत दरोगा से इंस्पेक्टर पद पर प्रोन्नति के हकदार हैं। अधिवक्ता का कहना था कि दरोगाओं की संयुक्त वरिष्ठता सूची 11 दिसंबर 17 को पुलिस मुख्यालय से जारी की गई थी । जिसमें 11 हजार 763 दरोगा शामिल थे। याचीगण का नाम भी वरिष्ठता सूची के मध्य में था। बाद में तीन और सूची जारी हुई, जिसमें याची दरोगाओं का नाम नहीं था।
हाईकोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए डीआईजी कार्मिक, डीजीपी मुख्यालय लखनऊ को निर्देश दिया है कि वह इंस्पेक्टर पद की ट्रेनिंग कराकर प्रोन्नति करने की याची दरोगाओं की मांग पर छह सप्ताह में निर्णय लें। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि यदि याची दरोगा इंस्पेक्टर पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह पाए जाते हैं तो उन्हें उनके जूनियरों की तरह ही चार सप्ताह में इंस्पेक्टर की ट्रेनिंग के लिए आदेश निर्गत किया जाए ।
यूपी उपनिरीक्षक और निरीक्षक (नागरिक पुलिस) सेवा पंचम संशोधन नियमावली-2018 के अनुसार दरोगा से इंस्पेक्टर पद पर प्रमोशन के लिए दरोगा के पद पर सात वर्ष की सेवा और इंस्पेक्टर पद के लिए ट्रेनिंग अनिवार्य है। इन दोनों अर्हताओं को पूरा करने वाले ही प्रोन्नति पाने के हकदार होंगे। याचिका में कहा गया कि 22 जुलाई 2020 को यूपी पुलिस मुख्यालय द्वारा 330 दरोगाओं की सूची जारी कर उन्हें इंस्पेक्टर सिविल पुलिस प्रमोशन ट्रेनिंग कोर्स में भेजा गया। इस लिस्ट में याची दरोगाओं का नाम नहीं था। कहा गया था कि जिन दरोगाओं को इंस्पेक्टर ट्रेनिंग कोर्स में भेजा गया वे सभी 330 दरोगा 11 दिसंबर 2017 को जारी वरिष्ठता सूची में याची दरोगाओं से जूनियर हैं। उन्हें अवैधानिक तरीके से नियम के विपरीत ट्रेनिंग कोर्स में भेजा गया है।
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