बापू नंदन मिश्र
रतनपुरा (मऊ) वंश वृद्धि एवं उसकी सलामती के लिए हिंदू माताओं द्वारा रखे जाने वाले जीवित्पुत्रिका व्रत की पूर्व संध्या पर बाजारों में सरपुतिया की काफी मांग रही। जिसके कारण इसका भाव प्रतिदिन की अपेक्षा आसमान छूता दिखा। प्रतिदिन बाजारों में पच्चीस से तीस रुपए प्रति किलो के भाव से बिकने वाली सरपुतिया अचानक सवा सौ रुपए प्रति किलो से भी ऊपर कीमत में बेची जाने लगी।
जो भी वस्तुएं आवश्यक थी व्रती माताओं को वह सब खरीदा गया क्योंकि। विश्वास है कि लगभग डेढ दिन से भी अधिक समय के इस निर्जला व्रत को रखने से संतति को दीर्घायु प्राप्त होती हैं।
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